🔰 परिचय: गाँव से उठी उम्मीद की लौ
आज के समय में जब अधिकतर युवा गाँव छोड़कर शहरों की ओर जा रहे हैं, वहीं एक किसान ऐसा भी है जिसने अपने गाँव में ही रहकर ऐसा कुछ कर दिखाया जिससे न केवल उसकी किस्मत बदली बल्कि आसपास के गाँवों के किसानों की भी सोच बदल दी।
नाम: रामस्वरूप यादव
गाँव: छत्तरपुर, मध्यप्रदेश
पेशे से: किसान
पहले आमदनी: ₹60,000 प्रतिवर्ष
अब आमदनी: ₹12 लाख प्रतिवर्ष से भी अधिक
आइए जानें इस आम किसान की असाधारण सफलता की कहानी, जो हर किसान के लिए एक मिसाल बन चुकी है।
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एक किसान की सफलता की कहानी |
👨🌾 1. शुरुआती जीवन: खेती की विरासत लेकिन चुनौतियों की भरमार
रामस्वरूप का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ। उनके पिता ने जैसे-तैसे 3 एकड़ ज़मीन पर गेहूं और चने की खेती करके परिवार का पालन-पोषण किया। पढ़ाई आठवीं तक ही हो पाई क्योंकि परिवार को एक और कमाने वाले हाथ की जरूरत थी।
समस्याएँ:
- सिंचाई के लिए पानी की कमी
- पारंपरिक खेती से कम मुनाफ़ा
- सरकारी योजनाओं की जानकारी का अभाव
- मंडी में फसल बेचने में बिचौलियों की लूट
इन सब कारणों से रामस्वरूप का परिवार आर्थिक तंगी से जूझता रहा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
🔄 2. बदलाव की शुरुआत: सोच बदली तो किस्मत भी बदली
साल 2014 में गाँव में कृषि विभाग की एक टीम आई, जिसमें "जैविक खेती" और "फसल विविधिकरण" के बारे में बताया गया। रामस्वरूप ने उस प्रशिक्षण में भाग लिया और वहीं से उनकी सोच में बदलाव आ गया।
प्रमुख निर्णय:
- रासायनिक खाद छोड़ जैविक खेती अपनाई
- केवल गेहूं-चना नहीं, बल्कि सब्ज़ी और फूलों की खेती शुरू की
- पॉलिहाउस लगाकर मौसम पर निर्भरता कम की
- ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगवाया – जिससे पानी की बचत हुई
इन सभी बदलावों ने उनकी खेती को पूरी तरह बदल दिया।
🌿 3. नई फसलें, नया मुनाफा
3.1 सब्ज़ी उत्पादन
उन्होंने टमाटर, भिंडी, मिर्च, और बैंगन जैसे फसलें लगाई। जैविक खेती के कारण इनका दाम सामान्य फसलों से अधिक मिला।
3.2 फूलों की खेती
गेंदा और गुलाब की खेती ने रामस्वरूप को उत्सवों और शादी समारोहों के समय बहुत मुनाफा दिया। एक सीज़न में ₹1.5 लाख तक की कमाई सिर्फ़ फूलों से होने लगी।
3.3 मशरूम उत्पादन
KVK (कृषि विज्ञान केंद्र) की मदद से मशरूम उत्पादन की शुरुआत की। गाँव की महिलाएं भी इस काम में जुड़ गईं, जिससे रोजगार भी बढ़ा।
📱 4. डिजिटल भारत से जुड़ाव: स्मार्ट किसान की पहचान
रामस्वरूप ने मोबाइल फोन पर "IFFCO Kisan App" डाउनलोड किया और खेती से जुड़ी जानकारी नियमित पढ़ने लगे।
तकनीक का इस्तेमाल:
- मंडी दर ऑनलाइन देखकर फसल बेचना
- यूट्यूब से नई कृषि विधियाँ सीखना
- व्हाट्सऐप ग्रुप में गाँव के अन्य किसानों को जोड़ना
- किसान क्रेडिट कार्ड से बिना परेशानी के ऋण लेना
अब वह खुद भी एक यूट्यूब चैनल चलाते हैं – “Smart Kisan Ram” – जिस पर हर सप्ताह नई जानकारी शेयर करते हैं।
💧 5. पानी की समस्या का हल: वर्षा जल संचयन
उनके क्षेत्र में पानी की सबसे बड़ी समस्या थी। उन्होंने इसके लिए दो बड़े कदम उठाए:
- खेत तालाब योजना के अंतर्गत 1 लाख लीटर क्षमता का तालाब खुदवाया
- छत पर रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया
अब वे खुद पानी बचा रहे हैं और आसपास के किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं।
👩👩👦👦 6. सामूहिक खेती और महिला सशक्तिकरण
रामस्वरूप ने आसपास की 20 महिलाओं को साथ जोड़कर "ग्राम महिला किसान समूह" बनाया। इस समूह ने मिलकर पापड़, अचार और जैविक खाद बनाने का काम शुरू किया। अब यह समूह हर महीने ₹50,000 से ₹80,000 तक कमा रहा है।
🧮 7. कमाई और आँकड़े: मेहनत रंग लाई
वर्ष | क्षेत्रफल (एकड़) | फसल | शुद्ध लाभ (₹) |
---|---|---|---|
2014 | 3 | गेहूं, चना | ₹60,000 |
2016 | 3 | जैविक सब्ज़ी | ₹2,00,000 |
2018 | 4 | फूल, सब्ज़ी | ₹4,50,000 |
2020 | 5 | मशरूम, फल | ₹8,00,000 |
2024 | 6.5 | सबकुछ मिला कर | ₹12,25,000 |
🏆 8. पुरस्कार और पहचान
रामस्वरूप की मेहनत को कई मंचों पर सराहा गया:
- कृषि रत्न सम्मान (2021) – राज्य सरकार द्वारा
- प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना का मॉडल किसान
- आकाशवाणी और दूरदर्शन पर इनकी कहानी प्रसारित हुई
- कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा “रोल मॉडल किसान” की उपाधि
💡 9. दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा
रामस्वरूप अब अपने गाँव और आसपास के क्षेत्रों में "कृषि गुरुकुल" चला रहे हैं, जिसमें हर महीने 100 से अधिक किसान आते हैं और नई तकनीकें सीखते हैं।
उनका संदेश है:
“खेती में भी इज्ज़त है, पैसा है और भविष्य है — बस ज़रूरत है समझदारी और मेहनत की।”
❓ 10. अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1. क्या जैविक खेती से सच में ज़्यादा मुनाफ़ा होता है?
हाँ, क्योंकि उत्पादों की माँग ज़्यादा है और कीमत अच्छी मिलती है।
Q2. क्या सरकार से मदद मिलती है?
कई योजनाएं जैसे - किसान सम्मान निधि, PMKSY, किसान क्रेडिट कार्ड, सब्सिडी योजना – इनका फायदा लिया जा सकता है।
Q3. क्या कम जमीन वाला किसान भी सफल हो सकता है?
बिलकुल! रामस्वरूप ने भी 3 एकड़ से शुरुआत की थी। तकनीक और विविधता सफलता की कुंजी है।
✅ निष्कर्ष: गाँव का भविष्य भी उज्जवल हो सकता है
रामस्वरूप यादव की कहानी हमें सिखाती है कि मेहनत, ज्ञान और सही दिशा से खेती को लाभदायक और सम्मानजनक पेशा बनाया जा सकता है। आज वो न सिर्फ़ खुद सफल हैं, बल्कि अपने जैसे हज़ारों किसानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।
अगर एक किसान ठान ले तो मिट्टी से भी सोना उगा सकता है।
✍️ लेखक टिप्पणी:
यह लेख भारत के ग्रामीण विकास, आत्मनिर्भरता और किसान सशक्तिकरण को समर्पित है। यदि आपको यह प्रेरणादायक लगा तो कृपया इसे साझा करें, ताकि हर किसान यह जान सके – “खेती छोड़ो मत, इसे समझो और बदलो।”
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