डॉ. कलाम का जन्मदिन 15 अक्टूबर को भारतवासी बड़ी श्रद्धा और गर्व के साथ मनाते हैं। यह दिन हमें न केवल उनकी उपलब्धियों की याद दिलाता है, बल्कि उनके विचारों को अपनाने और समाज व राष्ट्रहित में योगदान करने की प्रेरणा भी देता है। इस लेख में हम उनके जीवन, कार्य, योगदान, विचारों और प्रेरणाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
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डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: जयंती, पुण्यतिथि |
प्रारंभिक जीवन और परिवार
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम नामक छोटे से द्वीप नगर में हुआ। उनके पिता जैनुलाब्दीन एक साधारण नाव चलाने वाले व्यक्ति थे और माता आशिअम्मा गृहिणी थीं। परिवार आर्थिक रूप से सम्पन्न नहीं था, लेकिन कलाम के माता-पिता अत्यंत ईमानदार और मेहनती थे।
गरीबी के बावजूद कलाम ने बचपन में ही आत्मनिर्भरता और परिश्रम का महत्व समझ लिया। वे अखबार बाँटकर अपनी पढ़ाई का खर्च निकालते थे। यही कठिनाइयाँ उनके चरित्र निर्माण की नींव बनीं।
शिक्षा और छात्र जीवन
अब्दुल कलाम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रामनाथपुरम श्वार्ट्ज हायर सेकेंडरी स्कूल से प्राप्त की। बचपन से ही उन्हें गणित और विज्ञान में गहरी रुचि थी। वे हमेशा जिज्ञासु रहते और चीज़ों को समझने की कोशिश करते थे।
इसके बाद उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली से भौतिकी (Physics) में स्नातक की डिग्री ली। स्नातक के बाद उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT), चेन्नई में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया। वहीं से उनकी उड़ानों और अंतरिक्ष अनुसंधान की यात्रा शुरू हुई।
वैज्ञानिक के रूप में योगदान
डॉ. कलाम का करियर भारत के वैज्ञानिक कार्यक्रम से शुरू हुआ। उन्होंने सबसे पहले DRDO (Defence Research and Development Organisation) में काम किया, लेकिन उनकी असली पहचान बनी ISRO (Indian Space Research Organisation) में।
उन्होंने भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV-III) के प्रोजेक्ट को नेतृत्व दिया, जिसके माध्यम से रोहिणी उपग्रह को 1980 में सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित किया गया।
बाद में वे मिसाइल विकास कार्यक्रम से जुड़े और भारत को 'मिसाइल मैन' के रूप में एक नई पहचान दिलाई। उन्होंने अग्नि, पृथ्वी, आकाश, नाग और त्रिशूल जैसी मिसाइलों के विकास में अहम भूमिका निभाई।
पोखरण परमाणु परीक्षण और विश्व में भारत की पहचान
डॉ. कलाम का सबसे बड़ा योगदान रहा पोखरण-II परमाणु परीक्षण (1998) में उनकी नेतृत्वकारी भूमिका। इस परीक्षण ने दुनिया को दिखा दिया कि भारत न केवल आत्मनिर्भर है, बल्कि रक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में एक मजबूत शक्ति भी है।
इस परीक्षण के बाद भारत की छवि एक वैज्ञानिक रूप से सक्षम और सामरिक रूप से सशक्त राष्ट्र के रूप में उभरी। डॉ. कलाम को इस सफलता का नायक माना गया।
राष्ट्रपति के रूप में 'जनता के राष्ट्रपति'
डॉ. कलाम ने 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। उन्हें ‘पीपल्स प्रेसिडेंट (जनता के राष्ट्रपति)’ कहा गया, क्योंकि वे सदैव जनता, खासकर बच्चों और युवाओं से जुड़े रहते थे।
उनका मानना था कि राष्ट्रपति का असली काम जनता के सपनों और आकांक्षाओं को समझना और उन्हें सही दिशा देना है। उन्होंने कभी सत्ता या दिखावे को महत्व नहीं दिया, बल्कि सादगी और सेवा को ही अपना धर्म माना।
बच्चों और युवाओं के प्रति प्रेम
डॉ. कलाम का सबसे बड़ा लगाव बच्चों और युवाओं से था। वे अक्सर कहते थे –
👉 “सपना वह नहीं जो आप सोते वक्त देखते हैं, सपना वह है जो आपको सोने न दे।”
उनका मानना था कि भारत का भविष्य युवाओं के हाथों में है और यदि युवा सही दिशा में मेहनत करें, तो भारत को कोई शक्ति रोक नहीं सकती।
कलाम जी हमेशा बच्चों को बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए लगातार प्रयास करने की प्रेरणा देते थे। यही कारण था कि उनकी किताबें और भाषण आज भी छात्रों और युवाओं के लिए मार्गदर्शन का स्रोत हैं। "भारत की आज़ादी की लड़ाई में चंद्रशेखर आज़ाद का योगदान अविस्मरणीय है। उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर जानिए उनके जीवन परिचय और बलिदान की प्रेरणादायक कहानी।"
डॉ. कलाम की किताबें और लेखन कार्य
डॉ. अब्दुल कलाम केवल एक वैज्ञानिक और राष्ट्रपति ही नहीं थे, बल्कि एक महान लेखक भी थे। उन्होंने कई किताबें लिखीं, जिनमें उन्होंने अपने अनुभव, विचार और भारत के लिए अपने सपनों को साझा किया। उनकी किताबें विशेषकर युवाओं को प्रेरित करती हैं।
1. Wings of Fire (विंग्स ऑफ फायर)
यह उनकी आत्मकथा है, जिसमें उन्होंने अपने बचपन से लेकर वैज्ञानिक बनने तक की यात्रा को विस्तार से लिखा है। यह किताब भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है।
2. Ignited Minds (इग्नाइटेड माइंड्स)
इस किताब में कलाम ने भारत के युवाओं से आह्वान किया कि वे बड़े सपने देखें और उन्हें साकार करें। उन्होंने लिखा कि यदि युवा जागरूक होंगे, तो भारत विश्वगुरु बन सकता है।
3. India 2020: A Vision for the New Millennium
यह किताब कलाम के विज़न को दर्शाती है। उनका मानना था कि वर्ष 2020 तक भारत एक विकसित राष्ट्र बन सकता है। इस किताब में उन्होंने विज्ञान, तकनीक, कृषि, शिक्षा और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में विकास की राह बताई।
4. Inspiring Thoughts (इंस्पायरिंग थॉट्स)
इस किताब में कलाम के प्रेरणादायक विचारों का संकलन है। यह छात्रों, शिक्षकों और नेताओं सभी के लिए मार्गदर्शक है।
5. My Journey (माइ जर्नी)
यह किताब उनके जीवन से जुड़ी छोटी-छोटी कहानियों और अनुभवों का संग्रह है। इसमें वे बताते हैं कि कठिनाइयों के बावजूद कैसे मेहनत और विश्वास से सफलता मिलती है।
डॉ. कलाम के प्रेरणादायक विचार और उद्धरण
डॉ. कलाम का व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि उनके कथन आज भी लोगों के दिलों को छू जाते हैं। उनके कुछ प्रसिद्ध उद्धरण इस प्रकार हैं:
- “सपना वह नहीं जो आप सोते समय देखते हैं, सपना वह है जो आपको सोने न दे।”
- “यदि आप सूरज की तरह चमकना चाहते हैं, तो पहले सूरज की तरह जलना होगा।”
- “मनुष्य को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने के लिए ये जरूरी हैं।”
- “शिक्षा का उद्देश्य अच्छे इंसान और जिम्मेदार नागरिक बनाना होना चाहिए।”
- “महान सपनों वाले महान लोग ही इतिहास बदलते हैं।”
इन विचारों से साफ झलकता है कि कलाम जी केवल विज्ञान ही नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला के भी महान शिक्षक थे।
भारत के लिए उनका विज़न – 2020 तक विकसित भारत
डॉ. कलाम का सपना था कि भारत वर्ष 2020 तक एक विकसित राष्ट्र बने। वे मानते थे कि भारत के पास पर्याप्त संसाधन, युवा शक्ति और वैज्ञानिक क्षमता है। आवश्यकता केवल सही दिशा और कड़ी मेहनत की है।
उनके विज़न 2020 के मुख्य बिंदु थे:
- शिक्षा – सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा।
- विज्ञान और तकनीक – आधुनिक रिसर्च और इनोवेशन पर जोर।
- कृषि – किसानों को आधुनिक साधनों और तकनीक से जोड़ना।
- ऊर्जा – नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (सौर, पवन) का अधिकतम उपयोग।
- समान अवसर – हर नागरिक को विकास की प्रक्रिया में शामिल करना।
हालांकि भारत पूरी तरह 2020 तक विकसित राष्ट्र नहीं बन पाया, लेकिन उनके विज़न ने देश की नीतियों और युवाओं की सोच पर गहरा असर डाला।
शिक्षा और अध्यापन में योगदान
डॉ. कलाम को पढ़ाना बहुत पसंद था। राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद उन्होंने अपना अधिकांश समय आईआईटी, आईआईएम और विश्वविद्यालयों में लेक्चर देने में बिताया।
उनका मानना था –
👉 “शिक्षक समाज की रीढ़ हैं और शिक्षा ही राष्ट्र को मजबूत बनाती है।”
वे हमेशा छात्रों से कहते थे कि वे प्रश्न पूछें, क्योंकि जिज्ञासा ही ज्ञान की जड़ है। कलाम जी खुद को जीवन भर “शिक्षक” मानते थे।
उन्होंने कई शिक्षा संस्थानों में ‘कलाम छात्रवृत्ति’ और रिसर्च कार्यक्रम भी शुरू किए। उनका यह विश्वास था कि यदि हर बच्चा सही शिक्षा पाएगा, तो भारत दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति बनेगा।
सम्मान और पुरस्कार 🏅
डॉ. अब्दुल कलाम का जीवन उपलब्धियों से भरा हुआ था। उनके योगदान को देखते हुए उन्हें भारत और विदेशों में कई सम्मान प्राप्त हुए।
भारत सरकार के प्रमुख पुरस्कार:
- पद्म भूषण (1981) – विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए।
- पद्म विभूषण (1990) – रक्षा अनुसंधान और अंतरिक्ष कार्यक्रम में उनकी भूमिका के लिए।
- भारत रत्न (1997) – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, जो उन्हें उनकी अद्वितीय सेवाओं और राष्ट्र के प्रति समर्पण के लिए दिया गया।
अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान:
- 2002 में उन्हें आईआईटी (IITs) और अन्य यूनिवर्सिटीज द्वारा मानद डॉक्टरेट उपाधि मिली।
- संयुक्त राष्ट्र (UNO) ने 2015 को उनकी जयंती (15 अक्टूबर) को World Students’ Day घोषित किया।
- अमेरिका, यूके और अन्य देशों की यूनिवर्सिटीज ने भी उन्हें कई पुरस्कारों और उपाधियों से नवाजा।
व्यक्तिगत जीवन और सादगी 🕊️
डॉ. कलाम का व्यक्तिगत जीवन बेहद सरल और अनुशासित था। वे अविवाहित रहे और अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा और बच्चों को प्रेरित करने में लगा दिया।
उनका जीवनशैली:
- वे साधारण कपड़े पहनते थे, अक्सर सफेद शर्ट और पैंट।
- राष्ट्रपति भवन में रहते हुए भी उन्होंने कभी भव्यता का दिखावा नहीं किया।
- वे सुबह जल्दी उठते और प्रार्थना, योग और पढ़ाई से दिन की शुरुआत करते।
- उन्हें वीणा बजाना और भक्ति संगीत सुनना पसंद था।
- वे हमेशा किताबों और छात्रों के बीच रहना पसंद करते थे।
उनकी सादगी ने करोड़ों लोगों को प्रभावित किया। लोग कहते हैं कि कलाम जी ने जीवन में कभी धन या पद का मोह नहीं किया, उनका असली सुख ज्ञान बांटने और राष्ट्र सेवा में था।
अंतिम दिन और विदाई 💐
डॉ. अब्दुल कलाम का जीवन वास्तव में प्रेरणादायक था और उनकी विदाई भी उतनी ही विशेष रही।
27 जुलाई 2015 को वे आईआईएम शिलांग (मेघालय) में छात्रों को लेक्चर देने पहुँचे। उनका विषय था – “Creating a Livable Planet Earth”।
लेक्चर के दौरान ही उन्हें अचानक दिल का दौरा पड़ा और वे मंच पर गिर पड़े। डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
उनकी अंतिम यात्रा में पूरा देश रो पड़ा। लोग कहते हैं कि यह सौभाग्य की बात है कि उन्होंने जीवन का अंतिम क्षण भी छात्रों को पढ़ाते हुए बिताया। यही उनका सच्चा परिचय था – एक Teacher।
भारत सरकार ने उन्हें राज्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी। उनका पार्थिव शरीर रामेश्वरम में पूरे सैन्य सम्मान के साथ दफनाया गया। उस दिन करोड़ों लोगों ने उन्हें अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि दी।
डॉ. कलाम का संदेश मृत्यु के बाद भी 🌟
उनकी मृत्यु के बाद भी उनकी स्मृतियाँ और विचार जीवित हैं। उनके जीवन का संदेश है –
👉 “सपने देखो, कड़ी मेहनत करो और ईमानदारी से देश की सेवा करो।”
डॉ. कलाम मानते थे कि मौत भी एक नई शुरुआत है, और वे कहते थे:
“मृत्यु जीवन का अंत नहीं है, बल्कि यह जीवन के कार्यों की निरंतरता है।”
आज की पीढ़ी के लिए डॉ. कलाम से प्रेरणा 🌟
डॉ. कलाम का जीवन युवाओं और छात्रों के लिए एक प्रकाशपुंज है। उन्होंने हमेशा कहा कि भारत का भविष्य युवाओं के हाथ में है।
उनसे हमें ये प्रेरणाएँ मिलती हैं:
- बड़े सपने देखो – वे कहते थे कि छोटे लक्ष्य अपराध हैं। हर युवा को ऐसा सपना देखना चाहिए जो न केवल उसकी बल्कि समाज और देश की दिशा बदल दे।
- कड़ी मेहनत करो – उनका मानना था कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है। केवल निरंतर परिश्रम ही महानता की ओर ले जाता है।
- ईमानदारी और अनुशासन – वे खुद एक अनुशासित और ईमानदार जीवन जीते थे। यही कारण है कि वे हर वर्ग के लोगों के आदर्श बने।
- ज्ञान बाँटो – उनका विश्वास था कि ज्ञान तब ही सार्थक है जब उसे समाज के साथ साझा किया जाए।
- विज्ञान और आध्यात्म का संतुलन – वे आधुनिक विज्ञान के समर्थक थे, लेकिन साथ ही भारतीय संस्कृति और अध्यात्म को भी उतना ही महत्व देते थे।
जयंती का महत्व 🎉
डॉ. कलाम की जयंती यानी 15 अक्टूबर केवल एक जन्मदिन नहीं, बल्कि एक प्रेरणा दिवस है।
- 2010 में संयुक्त राष्ट्र (UNO) ने उनकी जयंती को World Students’ Day घोषित किया।
- इस दिन देशभर के स्कूल और कॉलेजों में सेमिनार, निबंध प्रतियोगिताएँ और विज्ञान प्रदर्शनी आयोजित होती हैं।
- कई शिक्षा संस्थान इस दिन छात्रों को उनकी किताबें पढ़ने और उनके विचारों पर चर्चा करने के लिए प्रेरित करते हैं।
- सोशल मीडिया और जनसंचार माध्यमों पर भी उनकी जयंती पर विशेष कार्यक्रम होते हैं।
यह दिन हमें याद दिलाता है कि सच्चे नायक वे हैं जो समाज और आने वाली पीढ़ियों के लिए काम करते हैं।
डॉ. कलाम की विरासत ✨
आज भी उनकी विरासत जीवित है।
- कलाम सेंटर और डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम फाउंडेशन शिक्षा, इनोवेशन और रिसर्च के लिए काम कर रहे हैं।
- कई छात्रवृत्तियाँ उनके नाम पर दी जाती हैं।
- उनकी लिखी किताबें नई पीढ़ी को लगातार प्रेरित कर रही हैं।
उनकी स्मृति में भारत सरकार और राज्य सरकारें समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित करती हैं।
🌹 डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि 🌹
डॉ. कलाम ने पूरी जिंदगी राष्ट्र और युवाओं को समर्पित कर दी। उनका निधन 27 जुलाई 2015 को हुआ था, जब वे आईआईएम शिलांग (मेघालय) में छात्रों को लेक्चर दे रहे थे। लेक्चर के दौरान ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा और कुछ ही समय में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
उनकी पुण्यतिथि हर वर्ष भारतवासी बड़े सम्मान और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। इस दिन देशभर में निम्न कार्य किए जाते हैं:
- श्रद्धांजलि कार्यक्रम – स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में विशेष कार्यक्रम होते हैं, जहाँ छात्र उनके जीवन और विचारों पर चर्चा करते हैं।
- विज्ञान और नवाचार प्रदर्शनी – बच्चों को विज्ञान और टेक्नोलॉजी में प्रेरित करने के लिए विज्ञान मेले और प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं।
- पुस्तक वाचन और विचार गोष्ठी – उनकी लिखी किताबें जैसे Wings of Fire, Ignited Minds आदि पर वाचन और विचार-विमर्श किया जाता है।
- सामाजिक पहलें – कई संस्थाएँ शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीब बच्चों की मदद के लिए इस दिन विशेष कार्य करती हैं, ताकि उनका सपना ‘विकसित भारत’ साकार हो सके।
कलाम जी का निधन भले ही शारीरिक रूप से हुआ, लेकिन उनकी पुण्यतिथि हमें हर वर्ष यह याद दिलाती है कि उनका जीवन और विचार अमर हैं। वे आज भी हर छात्र और युवा के दिलों में जीवित हैं।
👉 उनकी पुण्यतिथि का सबसे बड़ा संदेश यही है कि हमें अपने जीवन को समाज और देश की सेवा में लगाना चाहिए, जैसे उन्होंने किया।
✨ FAQs
Q1. डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जयंती कब मनाई जाती है?
👉 उनकी जयंती हर साल 15 अक्टूबर को मनाई जाती है।
Q2. डॉ. कलाम की पुण्यतिथि कब है?
👉 उनकी पुण्यतिथि 27 जुलाई 2015 को आईआईएम शिलांग में भाषण देते समय हुई।
Q3. अब्दुल कलाम को "मिसाइल मैन ऑफ इंडिया" क्यों कहा जाता है?
👉 क्योंकि उन्होंने भारत के मिसाइल और रक्षा कार्यक्रम को नई ऊँचाई दी और पोखरण परमाणु परीक्षण में अहम भूमिका निभाई।
Q4. डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की प्रमुख किताबें कौन-सी हैं?
👉 विंग्स ऑफ फायर, इग्नाइटेड माइंड्स, इंडिया 2020, टारगेट 3 बिलियन आदि।
Q5. डॉ. कलाम का पसंदीदा सपना क्या था?
👉 उनका सपना था कि भारत 2020 तक विकसित राष्ट्र बने।
Q6. युवाओं के लिए उनका संदेश क्या था?
👉 "सपना वो नहीं जो आप सोते समय देखते हैं, सपना वो है जो आपको सोने न दे।"
निष्कर्ष 🙏
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम केवल एक व्यक्ति नहीं थे, बल्कि एक विचारधारा थे। उनका जीवन यह साबित करता है कि कोई भी कठिनाई इंसान को महान बनने से नहीं रोक सकती, यदि उसके भीतर सपनों को पूरा करने की लगन और देश के लिए कुछ करने की इच्छा हो।
वे वैज्ञानिक थे, राष्ट्रपति थे, लेखक थे, लेकिन सबसे बढ़कर वे Teacher थे। उनकी सादगी, उनके विचार और उनका जीवन आने वाली कई पीढ़ियों को मार्ग दिखाता रहेगा।
उनकी जयंती हमें यह याद दिलाती है कि हम सबको उनके बताए रास्ते पर चलना है –
👉 सपने देखना,
👉 कड़ी मेहनत करना,
👉 ईमानदारी से जीना,
👉 और अपने देश को महान बनाना।
डॉ. कलाम का जीवन हर भारतीय के लिए प्रेरणा है। वे भले ही शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार और उनका विज़न हमेशा जीवित रहेंगे।
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