भारत के राष्ट्रपति की सूची (1947–2025) | सभी राष्ट्रपति के नाम, कार्यकाल और योगदान

भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है जहाँ जनता द्वारा चुनी गई सरकार संविधान के तहत कार्य करती है। भारत में राष्ट्रपति को "देश का प्रथम नागरिक" कहा जाता है। वह भारतीय गणराज्य के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन होते हैं और पूरे राष्ट्र की एकता, अखंडता व गरिमा के प्रतीक माने जाते हैं। "क्या आप जानते हैं कि विश्व के सबसे बड़े देशों का क्षेत्रफल कितना है और भारत कहाँ पर आता है? पूरी जानकारी के लिए पढ़ें – विश्व के सबसे बड़े देश और उनका क्षेत्रफल।"

26 जनवरी 1950 को जब भारत ने गणतंत्र का दर्जा प्राप्त किया, तब से लेकर आज 2025 तक कई राष्ट्रपति बने जिन्होंने देश की राजनीति, संस्कृति और लोकतांत्रिक व्यवस्था को दिशा दी।

इस लेख में हम 1947 से 2025 तक भारत के सभी राष्ट्रपतियों की सूची, उनका कार्यकाल, योगदान और विशेष तथ्य विस्तार से जानेंगे।

भारत के राष्ट्रपति की सूची (1947–2025) | सभी राष्ट्रपति के नाम, कार्यकाल और योगदान
भारत के राष्ट्रपति की सूची (1947–2025)

भारत के राष्ट्रपति बनने की प्रक्रिया

राष्ट्रपति का चुनाव भारत का चुनाव आयोग करवाता है। इसके लिए निर्वाचक मंडल (Electoral College) जिम्मेदार होता है, जिसमें शामिल होते हैं:

  • संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य।
  • राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य।

राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, लेकिन वह पुनः चुने जा सकते हैं।

भारत के राष्ट्रपति की शक्तियाँ और भूमिका

  1. कार्यपालिका प्रमुख – प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के साथ देश चलाने की जिम्मेदारी।
  2. सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर
  3. विधायी कार्य – संसद का सत्र बुलाना, स्थगित करना और संसद द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देना।
  4. न्यायिक शक्तियाँ – दया याचिका पर निर्णय लेना।
  5. आपातकालीन शक्तियाँ – राष्ट्रीय, राज्यों और वित्तीय आपातकाल की घोषणा।

राष्ट्रपति पद का महत्व

  • राष्ट्रपति भारतीय लोकतंत्र की रीढ़ हैं।
  • वे राजनीतिक अस्थिरता के समय राष्ट्र को संतुलन प्रदान करते हैं।
  • उनका पद दलगत राजनीति से ऊपर होता है।

भारत के राष्ट्रपति की सूची (1947–2025) | पूरी जानकारी हिंदी में

भारत एक संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य है। यहाँ राष्ट्रपति को "देश का प्रथम नागरिक" और संविधान के संरक्षक के रूप में माना जाता है। भारत का राष्ट्रपति सीधे तौर पर सरकार नहीं चलाता, लेकिन संविधान, लोकतंत्र और राष्ट्र की अखंडता बनाए रखने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी उसी पर होती है।

26 जनवरी 1950 को जब भारत का संविधान लागू हुआ, तब से अब तक (2025 तक) कुल 15 राष्ट्रपति बन चुके हैं। प्रत्येक राष्ट्रपति ने अपने-अपने कार्यकाल में अलग-अलग परिस्थितियों का सामना किया और देश को सही दिशा देने में योगदान दिया।

आइए, अब हम 1947 से 2025 तक भारत के सभी राष्ट्रपतियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

1. डॉ. राजेंद्र प्रसाद (1950–1962)

  • कार्यकाल: 26 जनवरी 1950 – 13 मई 1962
  • विशेषताएँ:
    • भारत के पहले राष्ट्रपति।
    • बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गाँव में जन्म (1884)।
    • संविधान सभा के अध्यक्ष।
    • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी।
  • योगदान:
    • दो बार राष्ट्रपति चुने गए (1950 और 1957)।
    • सादगी और ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध।
    • नेहरू सरकार और संसद के बीच संतुलन बनाए रखा।
  • महत्व:
    • उनका कार्यकाल भारत के लोकतंत्र की नींव रखने वाला रहा।

2. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1962–1967)

  • कार्यकाल: 13 मई 1962 – 13 मई 1967
  • विशेषताएँ:
    • महान दार्शनिक और शिक्षक।
    • स्वतंत्रता से पहले ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर।
    • उपराष्ट्रपति (1952–1962) रहे।
  • योगदान:
    • शिक्षक दिवस की परंपरा की शुरुआत (उनके जन्मदिन 5 सितंबर को मनाया जाता है)।
    • भारत के सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों का प्रचार।
  • महत्व:
    • उनका कार्यकाल शिक्षा और संस्कृति को नई दिशा देने वाला रहा।

3. डॉ. ज़ाकिर हुसैन (1967–1969)

  • कार्यकाल: 13 मई 1967 – 3 मई 1969
  • विशेषताएँ:
    • पहले मुस्लिम राष्ट्रपति।
    • जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्थापक।
  • योगदान:
    • शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान।
  • महत्व:
    • कार्यकाल के दौरान निधन (1969), इसलिए उनका कार्यकाल अधूरा रह गया।

4. वराहगिरी वेंकटगिरि (1969–1974)

  • कार्यकाल: 24 अगस्त 1969 – 24 अगस्त 1974
  • विशेषताएँ:
    • पहले कार्यवाहक राष्ट्रपति, बाद में निर्वाचित हुए।
    • मजदूर नेता और स्वतंत्रता सेनानी।
  • योगदान:
    • श्रमिकों और मजदूरों के अधिकारों की रक्षा की।
  • महत्व:
    • राजनीतिक अस्थिरता के दौर में संतुलन बनाए रखा।

5. फखरुद्दीन अली अहमद (1974–1977)

  • कार्यकाल: 24 अगस्त 1974 – 11 फरवरी 1977
  • विशेषताएँ:
    • पांचवे राष्ट्रपति।
    • असम के रहने वाले।
  • योगदान:
    • आपातकाल (1975) की घोषणा पर हस्ताक्षर किए।
  • महत्व:
    • आपातकाल के कारण उनका कार्यकाल विवादित रहा।

6. नीलम संजीव रेड्डी (1977–1982)

  • कार्यकाल: 25 जुलाई 1977 – 25 जुलाई 1982
  • विशेषताएँ:
    • पहले निर्विरोध निर्वाचित राष्ट्रपति।
    • आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष भी रहे।
  • योगदान:
    • राजनीतिक स्थिरता और संविधान के पालन पर जोर।
  • महत्व:
    • लोकतंत्र को आपातकाल के बाद पुनः स्थापित करने में अहम भूमिका।

7. ज्ञानी जैल सिंह (1982–1987)

  • कार्यकाल: 25 जुलाई 1982 – 25 जुलाई 1987
  • विशेषताएँ:
    • पहले सिख राष्ट्रपति।
    • पंजाब के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री रहे।
  • योगदान:
    • ग्रामीण विकास और सामाजिक सुधारों पर जोर।
  • महत्व:
    • उनके कार्यकाल में ऑपरेशन ब्लू स्टार और इंदिरा गांधी की हत्या जैसी घटनाएँ हुईं।

8. आर. वेंकटरमन (1987–1992)

  • कार्यकाल: 25 जुलाई 1987 – 25 जुलाई 1992
  • विशेषताएँ:
    • स्वतंत्रता सेनानी और वित्त मंत्री रहे।
  • योगदान:
    • आर्थिक सुधारों और राजनीतिक स्थिरता पर ध्यान।
  • महत्व:
    • राजीव गांधी के दौर और उसके बाद की राजनीति में संतुलन बनाए रखा।

9. डॉ. शंकर दयाल शर्मा (1992–1997)

  • कार्यकाल: 25 जुलाई 1992 – 25 जुलाई 1997
  • विशेषताएँ:
    • मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और उपराष्ट्रपति रहे।
  • योगदान:
    • संवैधानिक मर्यादाओं का पालन।
  • महत्व:
    • राजनीतिक अस्थिरता के समय निष्पक्ष भूमिका निभाई।

10. के. आर. नारायणन (1997–2002)

  • कार्यकाल: 25 जुलाई 1997 – 25 जुलाई 2002
  • विशेषताएँ:
    • पहले दलित राष्ट्रपति।
    • विदेश सेवा अधिकारी और प्रोफेसर।
  • योगदान:
    • वंचित वर्गों की आवाज बने।
  • महत्व:
    • उनका कार्यकाल सामाजिक न्याय की मिसाल है। "भारत के मिसाइल मैन और वैज्ञानिक राष्ट्रपति डॉ. कलाम की बातें विज्ञान से प्रेरित करती हैं। ऐसे ही कई विज्ञान से जुड़े रोचक तथ्य जानें – विज्ञान से जुड़े रोचक तथ्य।"

11. डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम (2002–2007)

  • कार्यकाल: 25 जुलाई 2002 – 25 जुलाई 2007
  • विशेषताएँ:
    • "मिसाइल मैन" के नाम से प्रसिद्ध।
    • वैज्ञानिक और भारत के परमाणु कार्यक्रम के जनक।
  • योगदान:
    • युवाओं को शिक्षा और विज्ञान की ओर प्रेरित किया।
  • महत्व:
    • उन्हें "पीपुल्स प्रेसिडेंट" कहा जाता है।

12. प्रतिभा देवीसिंह पाटिल (2007–2012)

  • कार्यकाल: 25 जुलाई 2007 – 25 जुलाई 2012
  • विशेषताएँ:
    • पहली महिला राष्ट्रपति।
    • महाराष्ट्र के राजनीति से आईं।
  • योगदान:
    • महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास पर काम।
  • महत्व:
    • राष्ट्रपति पद पर महिलाओं की भागीदारी की शुरुआत।

13. प्रणब मुखर्जी (2012–2017)

  • कार्यकाल: 25 जुलाई 2012 – 25 जुलाई 2017
  • विशेषताएँ:
    • लंबे समय तक केंद्रीय मंत्री रहे।
    • वित्त, रक्षा और विदेश मंत्रालय संभाला।
  • योगदान:
    • संसद और राजनीति को मजबूत किया।
  • महत्व:
    • वे संविधान और लोकतंत्र के गहरे जानकार थे।

14. रामनाथ कोविंद (2017–2022)

  • कार्यकाल: 25 जुलाई 2017 – 25 जुलाई 2022
  • विशेषताएँ:
    • वकील और राज्यपाल रहे।
    • दलित समाज से आते हैं।
  • योगदान:
    • सामाजिक न्याय और संविधान के पालन पर जोर।
  • महत्व:
    • सादगी और ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध।

15. द्रौपदी मुर्मू (2022–वर्तमान, 2025 तक)

  • कार्यकाल: 25 जुलाई 2022 – वर्तमान
  • विशेषताएँ:
    • पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति।
    • झारखंड की राज्यपाल भी रहीं।
  • योगदान:
    • आदिवासी समाज और महिला सशक्तिकरण का प्रतिनिधित्व।
  • महत्व:
    • उनका चुनाव भारतीय लोकतंत्र की समावेशी प्रकृति को दर्शाता है।

राष्ट्रपति पद का ऐतिहासिक महत्व

भारत में राष्ट्रपति पद केवल औपचारिकता नहीं है। यह उस स्वतंत्र भारत की पहचान है जो अंग्रेज़ों की गुलामी से निकलकर लोकतंत्र की राह पर चला। संविधान निर्माताओं ने राष्ट्रपति को “निष्पक्ष, तटस्थ और राष्ट्र का प्रतीक” बनाया।

  • राष्ट्रपति संसद और राज्यों के बीच सेतु का कार्य करता है।
  • आपातकाल की स्थिति में राष्ट्र की दिशा तय करने वाला होता है।
  • विदेश नीति, सशस्त्र बलों और न्यायपालिका में उसका योगदान अद्वितीय है।

राष्ट्रपतियों का विस्तार से विवरण

डॉ. राजेंद्र प्रसाद (1950–1962)

भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद एक स्वतंत्रता सेनानी और गांधीजी के अनुयायी थे। उनकी शिक्षा कोलकाता और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई। वे संविधान सभा के अध्यक्ष रहे और भारत का संविधान बनाने में उनकी भूमिका बहुत बड़ी थी।

राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने नेहरू सरकार और संसद के बीच संतुलन बनाया। दो बार राष्ट्रपति बने और कुल 12 वर्षों तक पद पर रहे। यह रिकॉर्ड आज भी कायम है। उनकी सादगी और ईमानदारी ने उन्हें "महात्मा गांधी के सच्चे शिष्य" बना दिया।


डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1962–1967)

दार्शनिक, शिक्षक और विद्वान राधाकृष्णन ने भारत की शिक्षा व्यवस्था को ऊँचाई दी। राष्ट्रपति बनने से पहले वे उपराष्ट्रपति और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर थे।

उनके समय में चीन-भारत युद्ध (1962) और पाकिस्तान-भारत युद्ध (1965) जैसी चुनौतियाँ आईं। फिर भी उन्होंने देश को नैतिक शक्ति और शिक्षा के माध्यम से मजबूत किया। उनका जन्मदिन (5 सितंबर) आज भी शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

डॉ. ज़ाकिर हुसैन (1967–1969)

वे जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्थापक और शिक्षा सुधारक थे। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास किया। दुर्भाग्यवश, 1969 में उनका कार्यकाल पूरा होने से पहले निधन हो गया। वे पहले राष्ट्रपति थे जिनका कार्यकाल अधूरा रह गया।

वराहगिरी वेंकटगिरि (1969–1974)

वेंकटगिरि मूल रूप से मजदूर नेता थे। वे कार्यवाहक राष्ट्रपति बने और बाद में निर्वाचित हुए। उन्होंने श्रमिकों के अधिकारों और कल्याण पर जोर दिया। उनका कार्यकाल राजनीतिक अस्थिरता का रहा, लेकिन उन्होंने संविधान की मर्यादा बनाए रखी।

फखरुद्दीन अली अहमद (1974–1977)

वे दूसरे मुस्लिम राष्ट्रपति थे। 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल की घोषणा पर उन्होंने तुरंत हस्ताक्षर कर दिए। इस कारण उनकी आलोचना हुई कि वे निष्पक्ष भूमिका नहीं निभा पाए। 1977 में कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उनका निधन हो गया।

नीलम संजीव रेड्डी (1977–1982)

आपातकाल के बाद जनता पार्टी की सरकार आई और रेड्डी निर्विरोध राष्ट्रपति बने। वे आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष रह चुके थे। उनका कार्यकाल लोकतंत्र को फिर से स्थापित करने का काल था।

आंध्र ज्ञानी जैल सिंह (1982–1987)

वे पहले सिख राष्ट्रपति थे। उनके समय में ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984) और इंदिरा गांधी की हत्या जैसी बड़ी घटनाएँ हुईं। इन घटनाओं से देश में अस्थिरता आई, लेकिन राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने संवैधानिक व्यवस्था बनाए रखी।

आर. वेंकटरमन (1987–1992)

वेंकटरमन स्वतंत्रता सेनानी और वित्त मंत्री रहे। उनके कार्यकाल में देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था, लेकिन उन्होंने राजनीतिक स्थिरता और संविधान की मर्यादा कायम रखी।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (1992–1997)

वे संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करने वाले राष्ट्रपति के रूप में प्रसिद्ध हैं। 1990 के दशक में गठबंधन सरकारों का दौर शुरू हुआ, लेकिन उन्होंने तटस्थ और निष्पक्ष भूमिका निभाई।

के. आर. नारायणन (1997–2002)

दलित समुदाय से आने वाले पहले राष्ट्रपति। वे विदेश सेवा अधिकारी भी रहे। उन्होंने हमेशा कहा कि राष्ट्रपति "सिर्फ मुहर लगाने वाला" नहीं, बल्कि "लोकतंत्र का सक्रिय संरक्षक" होना चाहिए। उनके समय में गरीबों और वंचितों की आवाज़ ज़्यादा जोर से उठी।

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम (2002–2007)

"मिसाइल मैन" के नाम से मशहूर डॉ. कलाम ने राष्ट्रपति पद को जनता से जोड़ा। वे पहले राष्ट्रपति थे जिन्होंने बच्चों और युवाओं से सीधा संवाद किया। उन्होंने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शिक्षा को प्राथमिकता दी। उन्हें "पीपुल्स प्रेसिडेंट" कहा गया।

प्रतिभा पाटिल (2007–2012)

भारत की पहली महिला राष्ट्रपति। वे महाराष्ट्र से थीं और राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहीं। महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास पर उन्होंने विशेष ध्यान दिया।

प्रणब मुखर्जी (2012–2017)

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और अनुभवी राजनेता। वे कई मंत्रालयों (वित्त, रक्षा, विदेश) का नेतृत्व कर चुके थे। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने संवैधानिक संस्थाओं को मजबूत करने का कार्य किया। उनकी विद्वता और अनुभव का पूरा लाभ देश को मिला।

रामनाथ कोविंद (2017–2022)

दलित समुदाय से आने वाले दूसरे राष्ट्रपति। वे वकील और बिहार के राज्यपाल रहे। उनका कार्यकाल सादगी और संविधान की निष्ठा के लिए याद किया जाएगा।

द्रौपदी मुर्मू (2022–2025 तक)

वे भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं। झारखंड की राज्यपाल रह चुकीं मुर्मू आदिवासी समाज और महिला सशक्तिकरण की प्रतीक हैं। उनका चुनाव भारतीय लोकतंत्र की समावेशी शक्ति को दर्शाता है।

राष्ट्रपति पद की बदलती भूमिका

  • 1950 के शुरुआती दशकों में राष्ट्रपति का पद बहुत प्रभावशाली था।
  • आपातकाल (1975) के बाद राष्ट्रपति की भूमिका को लेकर विवाद हुआ।
  • 1990 के दशक में गठबंधन सरकारों के समय राष्ट्रपति की भूमिका और सक्रिय हुई।
  • आज 2025 में राष्ट्रपति संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के प्रतीक बने हुए हैं।

राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया (विस्तार से)

भारत के राष्ट्रपति का चुनाव सीधा जनता द्वारा नहीं होता, बल्कि एक निर्वाचक मंडल (Electoral College) के द्वारा किया जाता है। इसमें शामिल होते हैं –

  1. लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य।
  2. सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य। "भारत के राष्ट्रपति पूरे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत के सभी राज्यों और उनकी विशेषताओं को जानना भी जरूरी है – भारत के सभी राज्य और उनकी विशेषताएँ।"

वोटिंग का तरीका

  • वोटिंग सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम (Single Transferable Vote System) से होती है।
  • इसमें उम्मीदवारों को प्राथमिकता क्रम में वोट दिया जाता है।
  • वोटों का मूल्य अलग-अलग होता है – संसद और राज्यों के विधायकों के वोट का वज़न जनसंख्या के आधार पर तय होता है।

शपथ और कार्यकाल

  • राष्ट्रपति पद की शपथ सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश दिलाते हैं।
  • कार्यकाल 5 साल का होता है, लेकिन वे पुनः चुने जा सकते हैं।

राष्ट्रपति की शक्तियाँ (Detail में)

1. कार्यपालिका संबंधी शक्तियाँ

  • प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की नियुक्ति।
  • राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति।
  • सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति।
  • सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर। "भारत के राष्ट्रपति राज्यपालों की नियुक्ति करते हैं, जो हर राज्य का प्रमुख होता है। सभी 28 राज्यों और उनकी राजधानियों की पूरी सूची यहाँ देखें – भारत के 28 राज्य और उनकी राजधानियाँ।"

2. विधायी शक्तियाँ

  • संसद का सत्र बुलाना और स्थगित करना।
  • लोकसभा भंग करने की शक्ति।
  • संसद द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देना।

3. न्यायिक शक्तियाँ

  • दया याचिका पर निर्णय।
  • मृत्युदंड को माफ करने का अधिकार।

4. आपातकालीन शक्तियाँ

  • राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352)
  • राज्य आपातकाल (अनुच्छेद 356)
  • वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)

राष्ट्रपति बनाम प्रधानमंत्री: अंतर

  • प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यपालिका प्रमुख हैं, जबकि राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख।
  • राष्ट्रपति बिना मंत्रिपरिषद की सलाह के कोई निर्णय नहीं ले सकते (सिवाय विशेष परिस्थितियों में)।
  • राष्ट्रपति का पद राजनीति से ऊपर होता है, जबकि प्रधानमंत्री सीधे जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं।

दिलचस्प तथ्य (Interesting Facts)

  1. सबसे लंबे समय तक राष्ट्रपति: डॉ. राजेंद्र प्रसाद (12 साल)।
  2. सबसे कम समय तक: डॉ. ज़ाकिर हुसैन (2 साल, निधन के कारण)।
  3. पहली महिला राष्ट्रपति: प्रतिभा देवीसिंह पाटिल।
  4. पहले दलित राष्ट्रपति: के. आर. नारायणन।
  5. पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू।
  6. केवल निर्विरोध चुने गए राष्ट्रपति: नीलम संजीव रेड्डी।
  7. सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति: डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम।

राष्ट्रपति भवन – शक्ति और शान का प्रतीक

भारत का राष्ट्रपति नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में रहते हैं।

  • इसे पहले वायसराय हाउस कहा जाता था।
  • यह 330 एकड़ में फैला है।
  • इसमें 340 कमरे हैं।
  • राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन (अब "अमृत उद्यान") विश्व प्रसिद्ध हैं।

भविष्य की चुनौतियाँ (2025 और आगे)

भारत के राष्ट्रपति की भूमिका आने वाले समय में और भी महत्वपूर्ण होने वाली है।

  • डिजिटल युग में लोकतंत्र की रक्षा – फेक न्यूज और साइबर खतरे से लोकतंत्र को सुरक्षित रखना। "डिजिटल इंडिया के दौर में राष्ट्रपति भी साइबर सुरक्षा पर जोर देते हैं। ऑनलाइन पेमेंट फ्रॉड क्या है और इससे कैसे बचें, जानें यहाँ – ऑनलाइन पेमेंट फ्रॉड क्या है?।"
  • संविधान की रक्षा – गठबंधन सरकारों और राजनीतिक अस्थिरता के दौर में निष्पक्ष बने रहना।
  • सामाजिक समावेशिता – वंचित, आदिवासी, महिला और अल्पसंख्यक समाज की आवाज़ को मुख्यधारा से जोड़ना।
  • वैश्विक राजनीति में भूमिका – भारत के राष्ट्रपति की विदेश यात्राएँ और वैश्विक प्रतिनिधित्व भारत की शक्ति का प्रतीक हैं। 

✅ FAQs (Frequently Asked Questions)

Q1. भारत के पहले राष्ट्रपति कौन थे?
👉 भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे, जिन्होंने 1950 से 1962 तक कार्य किया।

Q2. वर्तमान में भारत के राष्ट्रपति कौन हैं (2025)?
👉 2025 में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हैं, जो देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं।

Q3. भारत के कितने राष्ट्रपति अब तक बने हैं?
👉 2025 तक भारत में कुल 15 राष्ट्रपति बन चुके हैं।

Q4. भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल कितने साल का होता है?
👉 राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।

Q5. भारत की पहली महिला राष्ट्रपति कौन थीं?
👉 भारत की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल थीं, जिन्होंने 2007 से 2012 तक पद संभाला।

Q6. भारत के राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?
👉 राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल द्वारा होता है, जिसमें संसद (लोकसभा और राज्यसभा) और सभी राज्य विधानसभाओं के चुने हुए सदस्य भाग लेते हैं।

Q7. किस राष्ट्रपति का कार्यकाल सबसे लंबा रहा?
👉 डॉ. राजेंद्र प्रसाद का कार्यकाल सबसे लंबा (12 वर्ष) रहा।

Q8. भारत के राष्ट्रपति की शक्तियाँ क्या हैं?
👉 राष्ट्रपति संसद का अंग होते हैं, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद को नियुक्त करते हैं, आपातकाल घोषित कर सकते हैं और दया याचिका पर निर्णय ले सकते हैं।

निष्कर्ष

1947 से 2025 तक भारत के राष्ट्रपतियों की यात्रा केवल संवैधानिक पदों की कहानी नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की मजबूती, विविधता और समानता की गाथा है।

  • डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने नींव रखी,
  • राधाकृष्णन ने शिक्षा को महत्व दिया,
  • कलाम ने विज्ञान और युवाओं को प्रेरित किया,
  • और अब द्रौपदी मुर्मू वंचित वर्गों की आवाज बन रही हैं।

भारत का राष्ट्रपति पद हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर रहकर लोकतंत्र की मर्यादा और संविधान की रक्षा करता आया है और करता रहेगा।

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