भारतीय संस्कृति में त्योहारों का एक विशेष स्थान है। ये न केवल धार्मिक भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं बल्कि समाज, प्रकृति और पारिवारिक रिश्तों को भी मजबूत करते हैं। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण त्योहार है हरियाली तीज, जिसे श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह मुख्यतः महिलाओं का पर्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन की स्मृति में मनाया जाता है।
श्रावण मास का आगमन होते ही हरियाली, उमंग और भक्ति का वातावरण बन जाता है। इसी मास में मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है हरियाली तीज, जो भारतीय नारी शक्ति, प्रेम और परंपरा का प्रतीक है। यह पर्व विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए मनाया जाता है।
हर साल महिलाएं इस पर्व की तिथि और शुभ मुहूर्त को लेकर उत्सुक रहती हैं। तो आइए जानते हैं कि हरियाली तीज 2025 में कब है, इसका शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें, हरियाली तीज का ऐतिहासिक, धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्त्व, इसकी परंपराएं, रीति-रिवाज और आधुनिक युग में इसकी प्रासंगिकता।
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हरियाली तीज 2025 कब है? |
📅 हरियाली तीज 2025 में कब है?
हरियाली तीज 2025 की तिथि:
📌 तारीख: शनिवार, 26 जुलाई 2025
तीज तृतीया तिथि (हिंदू पंचांग के अनुसार):
- तृतीया तिथि प्रारंभ: 26 जुलाई 2025 को सुबह 04:25 बजे
- तृतीया तिथि समाप्त: 27 जुलाई 2025 को सुबह 06:30 बजे
🕉️ हरियाली तीज 2025 का शुभ मुहूर्त
इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्त्व है। पूजा मुहूर्त में व्रती महिलाएं व्रत कथा सुनती हैं और विधिपूर्वक पूजा करती हैं।
पूजा का शुभ समय (मुहूर्त):
🕓 शाम 05:45 बजे से रात्रि 07:30 बजे तक
(स्थानीय पंचांग के अनुसार थोड़ी भिन्नता संभव है)
इस अवधि में पूजा करना अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है।
🌸 हरियाली तीज का धार्मिक महत्व
हरियाली तीज का पर्व माता पार्वती द्वारा भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए की गई तपस्या की याद में मनाया जाता है। यह प्रेम, समर्पण और तपस्या का प्रतीक है।
यह दिन विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि:
- माता पार्वती ने इसी दिन शिवजी को अपने पति के रूप में प्राप्त किया।
- यह नारी के आत्मबल, श्रद्धा और विश्वास का उदाहरण है।
- शिव-पार्वती का मिलन वैवाहिक जीवन में प्रेम और संतुलन का संदेश देता है।
👩❤️👨 हरियाली तीज पर महिलाएं क्या करती हैं?
हरियाली तीज के दिन विवाहित महिलाएं और युवतियां दिनभर उपवास रखती हैं, श्रृंगार करती हैं और भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। प्रमुख गतिविधियों में शामिल हैं:
- निर्जला व्रत रखना
- सोलह श्रृंगार करना
- हरे वस्त्र और चूड़ियाँ पहनना
- मेंहदी रचाना
- झूला झूलना और लोकगीत गाना
- तीज माता की कथा सुनना
📖 तीज व्रत की पूजा विधि
- प्रातः स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
- माता पार्वती और शिव जी की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें।
- उन्हें जल, अक्षत, पुष्प, फल, मिठाई और सुहाग की सामग्री अर्पित करें।
- व्रत कथा का श्रवण करें।
- शाम के समय आरती करें और शिव-पार्वती से सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करें।
🌿 हरियाली तीज 2025 की विशेषताएं
- वर्ष 2025 में यह पर्व शनिवार के दिन पड़ रहा है, जो शनि देव का दिन होने के कारण और भी विशेष माना गया है।
- यह दिन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को आता है, जब प्रकृति पूरी तरह हरियाली से आच्छादित होती है।
- इस समय मेंहदी, झूला, लोकगीत और नारी सौंदर्य अपने चरम पर होता है।
🧘♀️ व्रत रखने के नियम
हरियाली तीज व्रत के दौरान कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है:
- यह व्रत निर्जला (बिना पानी के) रखा जाता है।
- व्रत तोड़ने से पहले पूजा और कथा अवश्य करें।
- शाम को व्रत खोलते समय पति के हाथों से जल या फल ग्रहण करना शुभ माना जाता है।
- व्रत रखते समय मन, वाणी और व्यवहार को पवित्र रखें।
🎶 तीज का सांस्कृतिक पक्ष
- राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब और मध्यप्रदेश में यह पर्व बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
- महिलाएं समूह में एकत्र होकर पारंपरिक गीत गाती हैं और लोकनृत्य करती हैं।
- जगह-जगह तीज मेलों और झांकियों का आयोजन होता है।
🕉️ हरियाली तीज का धार्मिक महत्त्व
माता पार्वती का तप और शिव से विवाह
हरियाली तीज का संबंध माता पार्वती की कठिन तपस्या और भगवान शिव से विवाह की कथा से जुड़ा है। कहा जाता है कि पार्वती जी ने 108 बार जन्म लिया और हर बार शिव जी को पति रूप में पाने के लिए तपस्या की। उनके इस अटल संकल्प और निष्ठा से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया।
इसलिए इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र, सुखमय वैवाहिक जीवन और परस्पर प्रेम की कामना से व्रत रखती हैं।
🌳 हरियाली तीज और प्रकृति का संबंध
हरियाली और तीज का संगम
श्रावण मास वर्षा का महीना होता है, जब धरती हरी-भरी हो जाती है। खेतों में नई फसलें लहलहाने लगती हैं, पेड़-पौधे जीवन से भर जाते हैं। इसी प्राकृतिक उत्साह को दर्शाने के लिए तीज का उत्सव मनाया जाता है।
यह पर्व हमें प्रकृति के संरक्षण, पर्यावरण प्रेम और हरियाली के महत्व की याद दिलाता है।
👩❤️👨 सुहागिनों के लिए विशेष पर्व
हरियाली तीज खासतौर पर विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन वे:
- श्रृंगार करती हैं,
- हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं (जो समृद्धि और हरियाली का प्रतीक है),
- मेंहदी रचाती हैं (जो सौभाग्य का संकेत है),
- और निर्जला व्रत रखती हैं।
उनका यह व्रत और पूजा पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन की सुख-शांति के लिए होता है।
🎉 हरियाली तीज की परंपराएं और रीति-रिवाज
1. व्रत और पूजा
महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करती हैं, व्रत का संकल्प लेती हैं और दिनभर बिना जल ग्रहण किए व्रत करती हैं। शाम को वे:
- शिव-पार्वती की पूजा करती हैं,
- तीज माता की कथा सुनती हैं,
- और गीतों व भजनों के माध्यम से उत्सव मनाती हैं।
2. झूला झूलने की परंपरा
हरियाली तीज पर झूला झूलना एक प्रमुख परंपरा है। पेड़ों पर रंग-बिरंगे झूले लगाए जाते हैं और महिलाएं समूह में गीत गाकर झूलती हैं। इससे न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लिया जाता है, बल्कि आपसी मेल-जोल भी बढ़ता है।
3. मेंहदी लगाना और हरे वस्त्र पहनना
मेंहदी को शुभता और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। महिलाएं इस दिन हाथों में सुंदर मेंहदी के डिजाइन बनवाती हैं और हरे रंग के कपड़े पहनती हैं जो हरियाली, उर्वरता और समृद्धि का प्रतीक है।
🍛 तीज के विशेष पकवान
हर त्योहार की तरह तीज पर भी विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं। इनमें शामिल हैं:
- घेवर
- मालपुआ
- कचौरी
- पूड़ी-सब्ज़ी
- बेसन के लड्डू
इन पकवानों से तीज का स्वाद और आनंद बढ़ जाता है।
🎵 तीज के लोकगीत और सांस्कृतिक आयोजन
हरियाली तीज के अवसर पर महिलाएं पारंपरिक लोकगीत गाती हैं, जिनमें:
- प्रेम,
- विरह,
- और शिव-पार्वती की कथाएं शामिल होती हैं।
साथ ही कई स्थानों पर:
- टीज महोत्सव आयोजित किए जाते हैं,
- नृत्य प्रतियोगिताएं होती हैं,
- और पारंपरिक परिधान प्रतियोगिता का आयोजन होता है।
🌍 हरियाली तीज: क्षेत्रवार परंपराएं
राजस्थान
राजस्थान में हरियाली तीज बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। जयपुर में यह त्योहार एक भव्य शोभायात्रा के रूप में निकलता है, जिसमें माता पार्वती की सवारी की जाती है। महिलाएं पारंपरिक गहनों और वस्त्रों में सजती हैं।
उत्तर प्रदेश और बिहार
यहां भी यह पर्व खासतौर पर सुहागिनों के लिए महत्वपूर्ण होता है। महिलाएं दिनभर व्रत रखती हैं, लोकगीत गाती हैं और झूला झूलती हैं।
पंजाब
यहां इसे हरियाली तीज की जगह "तेeyan" कहा जाता है। महिलाएं मायके जाती हैं, नाच-गाना करती हैं और इस दिन को उत्साहपूर्वक मनाती हैं।
📜 तीज व्रत की कथा
प्राचीन कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। उन्होंने 108 बार जन्म लेकर शिव की आराधना की। 108वें जन्म में उन्होंने हिमालय के घर जन्म लिया और कठोर तप किया। उनके इस अटल प्रेम से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। इस दिन को ही हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है।
🧘♀️ तीज व्रत का आध्यात्मिक लाभ
- आत्म-संयम और संयमित जीवन का अभ्यास
- एकाग्रता और ध्यान की शक्ति में वृद्धि
- दांपत्य जीवन में विश्वास और प्रेम को मजबूत बनाना
- मानसिक शुद्धता और आत्मिक उन्नति
🧑🤝🧑 सामाजिक पक्ष
हरियाली तीज महिलाओं को एक सामाजिक मंच भी प्रदान करती है। वे एक-दूसरे से मिलती हैं, अपने अनुभव साझा करती हैं, गीत-संगीत के माध्यम से मानसिक तनाव से मुक्त होती हैं और सामाजिक बंधनों को मजबूत करती हैं।
🏡 पारिवारिक रिश्तों को सुदृढ़ करना
हरियाली तीज विशेषकर ससुराल और मायके के रिश्तों को जोड़ने का कार्य करता है। इस दिन:
- बेटियां मायके आती हैं,
- माता-पिता उन्हें सिंजारा (श्रृंगार सामग्री, वस्त्र, मिठाइयां आदि) देते हैं,
- और परिवार में उत्सव का माहौल बनता है।
🕰️ आधुनिक समय में तीज की प्रासंगिकता
आज के बदलते समय में भी तीज का महत्त्व कम नहीं हुआ है। जहां महिलाएं आज नौकरी, व्यवसाय और अन्य क्षेत्रों में व्यस्त हैं, फिर भी वे इस दिन:
- पारंपरिक रीति-रिवाज निभाती हैं,
- ऑनलाइन झूला प्रतियोगिता व गीत प्रतियोगिता होती हैं,
- सोशल मीडिया पर तीज की झलकियां साझा की जाती हैं।
इससे यह स्पष्ट होता है कि संस्कृति समय के साथ बदल सकती है, पर उसका मूल नहीं बदलता।
💡 हरियाली तीज से सीख
- प्रेम और समर्पण की शक्ति
- नारी की आत्मबल और इच्छाशक्ति
- प्रकृति से जुड़ाव और संरक्षण की आवश्यकता
- सामाजिक सौहार्द और सामूहिक आनंद
🟢 हरियाली तीज का महत्त्व
हरियाली तीज भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत पावन पर्व है, जिसे श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र और दांपत्य सुख के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।
"हरियाली" शब्द वर्षा ऋतु और हरे-भरे वातावरण का प्रतीक है। यह पर्व न केवल आध्यात्मिक रूप से, बल्कि प्राकृतिक और सामाजिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यह महिलाओं के लिए एक सामाजिक संगम का अवसर भी है जहाँ वे मिलकर झूला झूलती हैं, मेंहदी लगाती हैं और लोकगीत गाती हैं।
🟢 हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है
हरियाली तीज मनाने का मुख्य उद्देश्य है – माता पार्वती और शिवजी के मिलन की स्मृति को जीवित रखना, साथ ही विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र की कामना करना। यह पर्व स्त्रियों को शक्ति, समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक बनाता है।
साथ ही, यह त्योहार मानसून के स्वागत के रूप में भी मनाया जाता है। इस समय चारों ओर हरियाली छा जाती है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है। यही कारण है कि इस पर्व में हरे रंग के वस्त्र, झूले और प्रकृति से जुड़ी परंपराएं शामिल हैं।
🟢 तीज की पूजा विधि
हरियाली तीज की पूजा विधि विशेष और सरल होती है:
- सवेरे उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें।
- उन्हें फूल, अक्षत, फल, मिठाई और सिंदूर अर्पित करें।
- तीज माता की कथा सुनें या पढ़ें।
- महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और भक्ति गीत गाती हैं।
- व्रत संध्या के समय कथा और आरती के बाद खोला जाता है (कुछ महिलाएं अगले दिन पारण करती हैं)।
यह पूजा विधि न केवल आध्यात्मिक रूप से लाभकारी है बल्कि ध्यान, संयम और साधना का अभ्यास भी कराती है।
🟢 तीज के रीति-रिवाज
हरियाली तीज में निभाए जाने वाले प्रमुख रीति-रिवाज:
- निर्जला व्रत: महिलाएं दिनभर बिना जल ग्रहण किए व्रत रखती हैं।
- झूला झूलना: पेड़ों पर झूले बांधकर महिलाएं गीत गाती हैं।
- सोलह श्रृंगार: महिलाएं पारंपरिक आभूषण और हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं।
- मेंहदी लगाना: शुभता और प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
- सिंजारा भेजना: मायके से ससुराल आई विवाहित बेटी को श्रृंगार सामग्री भेजी जाती है।
- गाना-बजाना और लोक नृत्य: महिलाओं का सामूहिक मनोरंजन और मेलजोल का माध्यम।
🟢 महिलाएं तीज क्यों रखती हैं
महिलाएं तीज व्रत इसलिए रखती हैं ताकि:
- पति की लंबी उम्र हो,
- दांपत्य जीवन सुखमय और प्रेमपूर्ण बना रहे,
- और भगवान शिव-पार्वती की तरह अविचल प्रेम और निष्ठा उनके रिश्ते में बनी रहे।
इस दिन व्रत रखने से महिलाएं मानसिक रूप से दृढ़ होती हैं, आत्म-नियंत्रण सीखती हैं और सामाजिक व पारिवारिक रिश्तों को मजबूती देती हैं।
🟢 हरियाली तीज में क्या होता है
हरियाली तीज के दिन मुख्य रूप से निम्न आयोजन होते हैं:
- सुबह व्रत और संकल्प से दिन की शुरुआत होती है।
- महिलाएं सोलह श्रृंगार, मेंहदी लगाना, हरी चूड़ियां पहनना, आदि करती हैं।
- झूला झूलने, गीत गाने और समूह में नाचने की परंपरा निभाई जाती है।
- दोपहर या संध्या को शिव-पार्वती की पूजा और तीज व्रत कथा का आयोजन होता है।
- रात को या अगले दिन व्रत पारण किया जाता है।
कुछ स्थानों पर तीज मेलों, प्रतियोगिताओं और तीज झांकियों का आयोजन भी होता है।
✨ निष्कर्ष
हरियाली तीज केवल एक पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति, प्रेम, परंपरा और सामाजिक एकता का सुंदर संगम है। यह त्योहार हमें नारी की शक्ति, दांपत्य जीवन की पवित्रता और प्राकृतिक सौंदर्य की सराहना करना सिखाता है।
आज के युग में जहां आधुनिकता के कारण हमारी परंपराएं कमजोर होती जा रही हैं, ऐसे में हरियाली तीज जैसे त्योहार हमें अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य करते हैं।
आइए, इस तीज पर हम भी हरियाली को अपनाएं, रिश्तों में मिठास लाएं और अपनी संस्कृति को अगली पीढ़ी तक संजोकर रखें!
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