गांधीजी के विचार केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणास्रोत बने। उनकी जयंती (2 अक्टूबर) और पुण्यतिथि (30 जनवरी) भारतीय इतिहास में केवल स्मृति दिवस नहीं हैं, बल्कि ये दिन हमें बार-बार याद दिलाते हैं कि मानवता, शांति और नैतिकता के बिना कोई भी समाज लंबे समय तक प्रगति नहीं कर सकता।
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महात्मा गांधी जयंती और पुण्यतिथि 2025 |
महात्मा गांधी का जीवन परिचय
प्रारंभिक जीवन
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर रियासत के दीवान थे और माता पुतलीबाई अत्यंत धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। माता-पिता के संस्कारों ने गांधीजी को नैतिक और धार्मिक मूल्यों की ओर प्रेरित किया।
गांधीजी का विवाह मात्र 13 वर्ष की आयु में कस्तूरबा गांधी से हुआ। बाल विवाह उस समय सामान्य था, लेकिन इसने उनके जीवन में कर्तव्य और ज़िम्मेदारी की भावना को जन्म दिया।
शिक्षा
गांधीजी ने प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में प्राप्त की। 1888 में वे कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए। वहां उन्होंने वकालत सीखी, लेकिन साथ ही यूरोपीय जीवनशैली, ईमानदारी और अनुशासन को करीब से देखा।
दक्षिण अफ्रीका प्रवास
1893 में गांधीजी नौकरी के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए। वहां भारतीयों को नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ता था। गांधीजी को भी रेलगाड़ी से केवल रंगभेद के कारण धक्के मारकर बाहर निकाल दिया गया। इस घटना ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। यहीं से उन्होंने अन्याय और भेदभाव के खिलाफ सत्याग्रह और अहिंसा की राह अपनाई।
भारत में गांधीजी का आगमन और स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका
1915 में गांधीजी भारत लौटे। उनके लौटने के बाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने नई दिशा पकड़ी। गांधीजी का आंदोलन अहिंसा पर आधारित था, लेकिन उनके समय में क्रांतिकारी आंदोलन भी उतने ही प्रखर थे। चंद्रशेखर आज़ाद ने अपने बलिदान से युवाओं के दिलों में देशभक्ति की ज्वाला जलाई। विस्तार से जानने के लिए पढ़ें: चंद्रशेखर आज़ाद जयंती और पुण्यतिथि
1. चंपारण सत्याग्रह (1917)
यह गांधीजी का पहला बड़ा आंदोलन था। बिहार के चंपारण में अंग्रेज़ किसानो को ज़बरदस्ती नील की खेती करने पर मजबूर कर रहे थे। गांधीजी ने किसानों का साथ दिया और अहिंसक आंदोलन के माध्यम से उन्हें न्याय दिलाया।
2. खेड़ा आंदोलन (1918)
खेड़ा जिले में अकाल और महामारी के बावजूद कर वसूला जा रहा था। गांधीजी ने किसानों के साथ मिलकर कर न देने का सत्याग्रह किया और आखिरकार अंग्रेज़ सरकार को झुकना पड़ा।
3. असहयोग आंदोलन (1920)
जलियांवाला बाग हत्याकांड और खिलाफत आंदोलन के समर्थन में गांधीजी ने पूरे देश में असहयोग आंदोलन शुरू किया। लोगों ने सरकारी स्कूल, नौकरी और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया।
4. दांडी यात्रा (1930)
अंग्रेजों के नमक कानून के खिलाफ गांधीजी ने साबरमती आश्रम से दांडी तक 390 किलोमीटर लंबी पदयात्रा की। इस आंदोलन ने पूरे देश को अंग्रेज़ों के खिलाफ खड़ा कर दिया।
5. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
द्वितीय विश्व युद्ध के समय गांधीजी ने करो या मरो का नारा दिया। भारत छोड़ो आंदोलन स्वतंत्रता संग्राम की निर्णायक लड़ाई साबित हुआ।
गांधी जयंती (2 अक्टूबर) का महत्व
गांधीजी का जन्मदिन हर साल 2 अक्टूबर को मनाया जाता है।
- यह दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है।
- संयुक्त राष्ट्र ने इसे अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया है।
- इस दिन देशभर में प्रार्थना सभाएँ, सफाई अभियान, सांस्कृतिक कार्यक्रम और गांधीजी के विचारों पर भाषण आयोजित किए जाते हैं।
- स्कूलों और कॉलेजों में निबंध, भाषण और पोस्टर प्रतियोगिताएँ होती हैं।
गांधी पुण्यतिथि (30 जनवरी) का महत्व
30 जनवरी 1948 को गांधीजी की हत्या नाथूराम गोडसे ने दिल्ली के बिड़ला भवन में प्रार्थना सभा के दौरान कर दी।
- यह दिन शहीद दिवस (Martyrs’ Day) के रूप में मनाया जाता है।
- पूरे देश में सुबह 11 बजे 2 मिनट का मौन रखकर गांधीजी और सभी शहीदों को याद किया जाता है।
- राजघाट पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
गांधीजी के विचार और दर्शन
1. सत्य और अहिंसा
गांधीजी का मानना था कि सत्य ही ईश्वर है। हिंसा केवल विनाश लाती है, जबकि अहिंसा से स्थायी समाधान मिलता है।
2. सत्याग्रह
अन्याय और अत्याचार के खिलाफ अहिंसक आंदोलन। गांधीजी ने इसे सबसे शक्तिशाली हथियार माना।
3. स्वदेशी और आत्मनिर्भरता
गांधीजी ने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार और स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग की अपील की। खादी और चरखा आत्मनिर्भरता का प्रतीक बने।
4. सर्वधर्म समभाव
गांधीजी सभी धर्मों का समान सम्मान करते थे। वे मानते थे कि धर्म का उद्देश्य मानवता और शांति है।
5. सादगी और स्वच्छता
गांधीजी स्वयं बहुत सादा जीवन जीते थे। वे स्वच्छता और स्वास्थ्य को भी उतना ही महत्वपूर्ण मानते थे जितना स्वतंत्रता को। गांधीजी हमेशा युवाओं को देश का भविष्य मानते थे और उन्हें सत्य, अहिंसा और सेवा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते थे। अगर आप युवाओं के लिए प्रेरणा और आदर्श जानना चाहते हैं तो स्वामी विवेकानंद जयंती और पुण्यतिथि पर विशेष लेख ज़रूर पढ़ें।
गांधीजी का योगदान
- भारत की आज़ादी के आंदोलन को जन-जन तक पहुँचाया।
- गरीबों, किसानों, महिलाओं और दलितों के अधिकारों के लिए लड़े।
- विश्व को अहिंसा और सत्याग्रह का मार्ग दिखाया।
- समाज सुधार और स्वच्छता अभियान चलाए। स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी का नेतृत्व महत्वपूर्ण था, लेकिन इसी दौर में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जैसे क्रांतिकारी नेताओं ने भी आज़ादी की लड़ाई को नई दिशा दी। इस संदर्भ में आप नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जयंती और पुण्यतिथि पर पूरा लेख पढ़ सकते हैं।
आज के समय में गांधीजी की प्रासंगिकता
आज दुनिया हिंसा, आतंकवाद, भ्रष्टाचार और प्रदूषण जैसी समस्याओं से जूझ रही है। गांधीजी के विचार पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हैं।
- अहिंसा से वैश्विक शांति कायम की जा सकती है।
- स्वदेशी और आत्मनिर्भरता से आर्थिक संकट और बेरोजगारी का समाधान हो सकता है।
- सत्य और ईमानदारी राजनीति और समाज में पारदर्शिता ला सकते हैं।
- स्वच्छता और सादगी जीवन को संतुलित और स्वस्थ बना सकते हैं।
- गांधीजी के सत्य और अहिंसा के विचार आधुनिक भारत में भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने भी युवाओं को सपना देखने और देश के लिए कार्य करने की प्रेरणा दी। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: जयंती, पुण्यतिथि, जीवन परिचय और प्रेरणादायक विचार
गांधीजी का बचपन और व्यक्तित्व निर्माण
महात्मा गांधी बचपन से ही बहुत साधारण और शर्मीले स्वभाव के थे। वे पढ़ाई में औसत छात्र थे, लेकिन ईमानदारी और सत्य के प्रति उनकी गहरी आस्था थी। एक बार स्कूल में शिक्षक ने उन्हें नकल करने के लिए कहा, लेकिन गांधीजी ने नकल नहीं की और कम अंक प्राप्त किए। इस घटना ने उनके भीतर सच्चाई के महत्व को और मजबूत कर दिया।
उनकी माँ पुतलीबाई उपवास और धार्मिक अनुष्ठानों में विश्वास करती थीं। उनसे गांधीजी ने आत्मसंयम, सेवा और करुणा का संस्कार पाया।
दक्षिण अफ्रीका से मिली सीख
गांधीजी जब दक्षिण अफ्रीका गए तो वहाँ भारतीयों के साथ नस्लीय भेदभाव देखकर बहुत दुखी हुए। एक बार ट्रेन के फर्स्ट क्लास डिब्बे में यात्रा करते समय उन्हें केवल गोरा न होने के कारण धक्के देकर बाहर फेंक दिया गया।
इस घटना ने उनके जीवन को बदल दिया और उन्होंने संकल्प लिया कि वे अन्याय और भेदभाव के खिलाफ लड़ेंगे। दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने नताल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की और वहाँ भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी की भूमिका (विस्तृत)
असहयोग आंदोलन (1920–22)
- यह पहला आंदोलन था जिसमें करोड़ों भारतीय शामिल हुए।
- विदेशी वस्त्रों की होली जलाई गई।
- स्कूल और कॉलेजों से छात्र बाहर आ गए और वकीलों ने अदालतों का बहिष्कार किया।
सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930)
- नमक कानून तोड़ना केवल आर्थिक मुद्दा नहीं था, बल्कि यह आम जनता से जुड़ा था।
- गांधीजी का दांडी मार्च (12 मार्च से 6 अप्रैल 1930 तक) पूरे भारत को एकजुट कर गया।
- यह आंदोलन विश्वभर में अहिंसक संघर्ष का प्रतीक बना।
भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
- गांधीजी ने “करो या मरो” का नारा दिया।
- लाखों लोग जेल गए, लेकिन अंग्रेज़ों को अंततः भारत छोड़ना पड़ा।
गांधीजी के कुछ प्रेरणादायक प्रसंग
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सत्य की शक्ति – बचपन में उन्होंने चोरी की थी और माँ से सच छुपाया। बाद में अपराधबोध से भरकर पिता को पत्र में सच लिखा। पिता ने दंड देने के बजाय गले से लगा लिया। इसने गांधीजी को सिखाया कि सत्य सबसे बड़ा हथियार है।
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सादगी का जीवन – इंग्लैंड में पढ़ाई करते समय उन्होंने वेस्टर्न कपड़े पहने, लेकिन भारत लौटने पर उन्होंने खादी और धोती अपनाई। उन्होंने कहा – “मैं चाहता हूँ कि मेरा पहनावा भारत के सबसे गरीब आदमी जैसा हो।”
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स्वच्छता का महत्व – गांधीजी हमेशा कहते थे कि स्वराज से ज्यादा ज़रूरी है स्वच्छता। वे स्वयं आश्रम में शौचालय की सफाई करते थे।
गांधीजी का अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव
गांधीजी के विचार केवल भारत तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने पूरी दुनिया को अहिंसा का मार्ग दिखाया।
- मार्टिन लूथर किंग जूनियर (अमेरिका) – उन्होंने अमेरिका में अश्वेतों के अधिकारों की लड़ाई में गांधीजी की अहिंसा की राह अपनाई।
- नेल्सन मंडेला (दक्षिण अफ्रीका) – गांधीजी से प्रेरित होकर रंगभेद के खिलाफ शांतिपूर्ण संघर्ष किया।
- आंग सान सू ची (म्यांमार) – लोकतंत्र की लड़ाई में गांधीजी के सत्याग्रह को अपनाया।
गांधीजी की आलोचना और विवाद
हालाँकि गांधीजी महान नेता थे, लेकिन समय-समय पर उन्हें आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा।
- कुछ लोग मानते हैं कि वे बहुत अधिक समझौता करने वाले थे।
- भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस जैसे क्रांतिकारियों के समर्थक मानते थे कि गांधीजी का तरीका धीमा था।
- जाति प्रथा और अस्पृश्यता पर उनके विचारों को लेकर भी बहस होती रही।
फिर भी, इन आलोचनाओं से गांधीजी की महानता कम नहीं होती।
गांधीजी के प्रमुख उद्धरण
- “सत्य ही ईश्वर है।”
- “आँख के बदले आँख पूरे विश्व को अंधा बना देगी।”
- “आप वह बदलाव बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।”
- “कमज़ोर लोग कभी क्षमा नहीं कर सकते। क्षमा करना ताक़तवर का गुण है।”
आज के भारत में गांधीजी की प्रासंगिकता (विस्तृत)
- राजनीति में पारदर्शिता – भ्रष्टाचार की बढ़ती समस्या को केवल गांधीजी के सत्य और ईमानदारी से ही रोका जा सकता है।
- आर्थिक आत्मनिर्भरता – “आत्मनिर्भर भारत” का नारा दरअसल गांधीजी के स्वदेशी विचारों की ही आधुनिक झलक है।
- सामाजिक समानता – जातिवाद और भेदभाव को समाप्त करने के लिए गांधीजी का सर्वधर्म समभाव आज भी जरूरी है।
- पर्यावरण संरक्षण – गांधीजी सादा जीवन और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के समर्थक थे। यह विचार आज के प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के दौर में बहुत महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी का जीवन किसी दीपक की तरह है जो आज भी अंधकार में रोशनी दिखाता है। उनकी जयंती और पुण्यतिथि हमें यह याद दिलाती है कि यदि हम सत्य और अहिंसा की राह पर चलें तो न केवल व्यक्तिगत जीवन सुखमय बनेगा बल्कि समाज और राष्ट्र भी प्रगति करेगा। गांधीजी ने साबित किया कि बड़े से बड़ा साम्राज्य भी अहिंसा और सत्य के आगे टिक नहीं सकता।
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