भारत में सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, यह महीना अत्यंत पवित्र और शुभ होता है। विशेषकर सावन के सोमवार को भगवान शिव की पूजा और व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। यही कारण है कि महिलाएँ, पुरुष, और खासकर कन्याएँ इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास के साथ करती हैं।
इस आर्टिकल में हम जानेंगे –
- सावन सोमवार व्रत का महत्व
- व्रत की तैयारी और नियम
- पूजन विधि
- व्रत कथा
- व्रत के लाभ
- सावधानियाँ और विशेष बातें
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सावन सोमवार व्रत विधि: महत्व, नियम |
सावन सोमवार व्रत का महत्व
- धार्मिक दृष्टि से – मान्यता है कि सावन में भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
- वैवाहिक सुख के लिए – अविवाहित कन्याएँ यह व्रत अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं।
- स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए – व्रत रखने से मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
- आध्यात्मिक लाभ – यह व्रत साधक को अध्यात्म के मार्ग पर आगे बढ़ाता है और आत्मशुद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है। "सावन का महीना केवल शिवभक्ति का नहीं बल्कि पारिवारिक रिश्तों के उत्सव का भी समय है। जानिए रक्षाबंधन 2026 की तिथि, इतिहास और महत्त्व।"
सावन सोमवार व्रत की तैयारी
1. स्नान और पवित्रता
- व्रत वाले दिन प्रातःकाल स्नान करें।
- गंगा जल मिलाकर स्नान करना शुभ माना जाता है।
- स्वच्छ और हल्के रंग के कपड़े पहनें।
2. पूजन सामग्री
- बेलपत्र (3 पत्तियों वाला)
- दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल
- धतूरा, भांग, शमीपत्र
- अक्षत (चावल), रोली, मौली
- फल और मिठाई
- दीपक, अगरबत्ती
- शिवलिंग या शिव की प्रतिमा
सावन सोमवार व्रत करने की विधि
1. संकल्प लेना
- पूजा से पहले व्रत का संकल्प लें और भगवान शिव से प्रार्थना करें कि आपका व्रत सफल हो।
2. शिव पूजा
- शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं।
- दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें।
- बेलपत्र, भांग, धतूरा अर्पित करें।
- धूप-दीप जलाकर "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
3. व्रत कथा सुनना
- पूजा के बाद सावन सोमवार व्रत कथा का श्रवण करें।
- कथा के बिना व्रत अधूरा माना जाता है।
4. व्रत का पालन
- पूरे दिन फलाहार करें।
- अनाज और नमक का परहेज करें।
- शाम को पुनः शिव आरती करें।
5. व्रत का समापन
- अगले दिन प्रातः पूजा करके व्रत का उद्यापन करें।
- ब्राह्मणों या गरीबों को भोजन कराना शुभ माना जाता है। "आस्था का एक और केंद्र है अयोध्या का श्रीराम मंदिर। जानिए श्रीराम मंदिर दर्शन की पूरी जानकारी और वहाँ जाने के सही समय।"
सावन सोमवार व्रत कथा
प्राचीन काल में चंद्रमा को श्राप मिला जिससे उसका तेज कम होने लगा। भगवान शिव की शरण में जाकर उसने सावन मास के सोमवार को उपवास किया और शिवलिंग पर जल अर्पित किया। शिवजी की कृपा से उसका तेज वापस आ गया। तभी से सावन सोमवार व्रत का महत्व बढ़ा और इसे चंद्रमा व्रत भी कहा जाने लगा।
सावन सोमवार व्रत के नियम
- व्रत रखने वाला व्यक्ति ब्रह्मचर्य का पालन करे।
- व्रत वाले दिन क्रोध, निंदा, झूठ और अपवित्र कार्यों से दूर रहें।
- व्रत के दौरान सात्विक आहार लें।
- शिव पूजा में तुलसी पत्र कभी न चढ़ाएँ।
- घर को स्वच्छ और पवित्र रखें।
सावन सोमवार व्रत में क्या खाएँ?
- फल (केला, सेब, आम, अंगूर आदि)
- सूखे मेवे (बादाम, काजू, किशमिश)
- दूध और दही
- साबूदाना खिचड़ी
- सिंघाड़े का आटा
- आलू, शकरकंद
- सेंधा नमक
सावन सोमवार व्रत के लाभ
- भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
- दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
- विवाह में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं।
- संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- जीवन से नकारात्मक ऊर्जा हटती है।
- मन को शांति और आत्मिक शक्ति मिलती है।
अविवाहित कन्याओं के लिए महत्व
सावन सोमवार व्रत अविवाहित कन्याओं के लिए विशेष फलदायी माना गया है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है, जैसा कि माता पार्वती को भगवान शिव मिले थे। "सावन में सुहागिनों के लिए हरियाली तीज का व्रत भी खास होता है। पढ़ें हरियाली तीज 2026 की तिथि और उससे जुड़ी परंपराएँ।"
विवाहित महिलाओं के लिए महत्व
विवाहित स्त्रियाँ यह व्रत अपने पति की लंबी आयु और सुखी दांपत्य जीवन के लिए करती हैं।
सावन सोमवार व्रत में सावधानियाँ
- पूजा सामग्री में तुलसी पत्र और हल्दी का उपयोग न करें।
- व्रत तोड़ते समय पहले भगवान शिव को भोग लगाएँ।
- अभिषेक करते समय तांबे के पात्र का उपयोग करें।
- व्रत के दौरान नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
सावन सोमवार व्रत का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
- व्रत रखने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है।
- शिव पूजा और मंत्र जाप से मानसिक तनाव दूर होता है।
- बेलपत्र और गंगाजल का उपयोग वातावरण को शुद्ध करता है।
- ध्यान और पूजा से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
पौराणिक महत्व
सावन सोमवार व्रत की महिमा पुराणों में स्पष्ट रूप से वर्णित है।
- शिव पुराण में कहा गया है कि सावन मास में जलाभिषेक करने से व्यक्ति पापों से मुक्त होता है।
- माता पार्वती ने कठोर तप करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इसलिए यह व्रत कन्याओं के लिए विशेष फलदायी है।
- समुद्र मंथन में निकला विष भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया, जिससे वे नीलकंठ कहलाए। उस समय देवताओं ने उन्हें गंगाजल से अभिषेक कर शांत किया। तभी से सावन में जल चढ़ाने की परंपरा है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्व
- सावन मास में सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है और चंद्रमा की स्थिति विशेष होती है।
- ज्योतिष के अनुसार इस समय चंद्रमा और जल तत्व का विशेष संबंध होता है, जो मन को स्थिर और शांत करता है।
- सोमवार का संबंध चंद्रमा से है और भगवान शिव चंद्रमा के अधिपति देवता माने जाते हैं। इसलिए सोमवार का व्रत विशेष फलदायी है।
सावन सोमवार व्रत में बोले जाने वाले मंत्र
व्रत के दौरान शिवजी को प्रसन्न करने के लिए मंत्र जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
शिव पंचाक्षरी मंत्र
ॐ नमः शिवाय
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
रुद्राष्टकम
- "नमामीशमीशान निर्वाणरूपम्..." का पाठ करने से विशेष पुण्य मिलता है।
क्षेत्रीय मान्यताएँ
भारत के विभिन्न राज्यों में सावन सोमवार व्रत अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है –
- उत्तर भारत – शिवालयों में विशेष मेला और जलाभिषेक।
- झारखंड और बिहार – कांवर यात्रा का आयोजन, गंगा जल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाना।
- दक्षिण भारत – महिलाएँ व्रत के साथ-साथ विशेष पकवान भी बनाती हैं।
- मध्य भारत – शिव बारात और झांकी का आयोजन।
आधुनिक समय में सावन सोमवार व्रत
- आज के व्यस्त जीवन में भी लोग इस व्रत को पूरी श्रद्धा से निभाते हैं।
- कई लोग ऑफिस या काम के बीच भी मोबाइल ऐप्स से शिव मंत्र का जाप करते हैं।
- ऑनलाइन पूजा सामग्री और लाइव आरती देखने का प्रचलन बढ़ा है।
- यह व्रत लोगों को मानसिक शांति और तनाव से राहत देता है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1. क्या सावन सोमवार का व्रत महिलाएँ और पुरुष दोनों कर सकते हैं?
हाँ, यह व्रत स्त्री-पुरुष दोनों के लिए फलदायी है।
Q2. क्या व्रत के दौरान केवल जल पी सकते हैं?
व्रती अपनी क्षमता के अनुसार निर्जल, फलाहार या जलाहार व्रत रख सकता है।
Q3. क्या इस व्रत में केवल सोमवार को ही पूजा करनी होती है?
मुख्य रूप से सोमवार को पूजा की जाती है, लेकिन श्रद्धा अनुसार पूरे सावन माह व्रत रखा जा सकता है।
Q4. सावन सोमवार व्रत कितने सोमवार का रखना चाहिए?
संपूर्ण सावन मास के चार या पाँच सोमवार का व्रत रखा जाता है।
Q5. क्या गर्भवती महिलाएँ यह व्रत रख सकती हैं?
हाँ, लेकिन उन्हें कठोर निर्जल उपवास न करके फलाहार व्रत करना चाहिए।
सावन सोमवार और पर्यावरण संरक्षण
सावन में बेलपत्र, धतूरा और अन्य प्राकृतिक वस्तुएँ शिव पूजा में उपयोग होती हैं। इसका संदेश है कि प्रकृति की रक्षा और पेड़-पौधों का संरक्षण किया जाए। शिवलिंग पर जल अर्पित करना जल संरक्षण और शुद्धिकरण का प्रतीक है।
सावन सोमवार से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- सावन में कांवड़ यात्रा का आयोजन होता है, जिसमें लाखों शिवभक्त गंगा जल लेकर शिवालय जाते हैं।
- कई स्थानों पर शिव विवाह की झांकी और बारात निकाली जाती है।
- सावन सोमवार को भगवान शिव का जलाभिषेक करने से 16 सोमवार व्रत के समान फल मिलता है।
निष्कर्ष
सावन सोमवार व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि मानसिक और शारीरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। भगवान शिव की आराधना और उपवास से जीवन में शांति, सुख-समृद्धि और सकारात्मकता आती है। इसलिए इस व्रत को श्रद्धा और नियमों के साथ करना चाहिए।
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