गणेश चतुर्थी का यह पर्व न केवल भारत बल्कि विदेशों में बसे भारतीय समुदाय के बीच भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर महाराष्ट्र में इसका महत्व सबसे अधिक है, जहाँ इसे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़कर जन-आंदोलन का रूप दिया था।
2026 में गणेश चतुर्थी 13 सितंबर (रविवार) को मनाई जाएगी। इस दिन लोग भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करके पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं और 10 दिनों तक भक्ति का यह महापर्व चलता है।
![]() |
गणेश चतुर्थी तिथि, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्व |
गणेश चतुर्थी 2026 की तिथि और शुभ मुहूर्त
तिथि
- तिथि आरंभ: 13 सितंबर 2026, रविवार को रात 12:15 बजे से
- तिथि समाप्त: 14 सितंबर 2026, सोमवार को सुबह 02:42 बजे तक
👉 इसलिए 2026 में गणेश चतुर्थी का पर्व 13 सितंबर 2026 (रविवार) को ही मनाया जाएगा।
शुभ मुहूर्त
- गणेश पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय: प्रातः 11:00 बजे से दोपहर 01:30 बजे तक
- मध्यान्ह काल को गणेश पूजन के लिए सबसे शुभ माना गया है। "सावन सोमवार व्रत की तरह ही गणेश चतुर्थी का व्रत भी बेहद शुभ माना जाता है। सावन सोमवार की पूजा विधि और नियम जानकर आप अपने जीवन में और भी सकारात्मकता ला सकते हैं।"
गणेश चतुर्थी का धार्मिक महत्व
- गणेश जी का जन्मोत्सव – इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था।
- विघ्नहर्ता की पूजा – गणपति जी को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता कहा जाता है।
- ज्ञान व बुद्धि का प्रतीक – गणेश जी को बुद्धि, विवेक और ज्ञान का देवता माना गया है।
- शुभता का आरंभ – किसी भी कार्य की शुरुआत गणेश पूजन से होती है ताकि कार्य बिना विघ्न के पूर्ण हो।
गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा
माता पार्वती और गणेश का जन्म
कथा के अनुसार, माता पार्वती ने स्नान करते समय अपने शरीर के उबटन से एक बालक का निर्माण किया और उसमें प्राण डाल दिए। उन्होंने उस बालक को द्वार पर बैठाकर कहा कि किसी को भी अंदर न आने देना।
उसी समय भगवान शिव वहाँ आए और गणेश जी ने उन्हें रोक दिया। क्रोधित होकर शिवजी ने गणेश जी का सिर काट दिया। पार्वती जी दुखी हो गईं और पूरे संसार को संकट में डालने की बात कही। तब शिवजी ने गणेश जी के शरीर पर हाथी का सिर लगाकर उन्हें पुनर्जीवित किया और उन्हें वरदान दिया कि सबसे पहले उनकी पूजा होगी।
अन्य कथाएँ
कुछ मान्यताओं के अनुसार, गणेश जी का जन्म "गण" और "ईश" से हुआ, अर्थात देवताओं और शिवजी की शक्ति से। "रक्षाबंधन 2026 भी भाई-बहन के अटूट रिश्ते का पावन पर्व है। इसके इतिहास, तिथि और महत्व के बारे में जानना आपको भारतीय संस्कृति की गहराई से जोड़ देगा।"
गणेश चतुर्थी व्रत और पूजा विधि
व्रत की तैयारी
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर को साफ-सुथरा और पवित्र बनाएँ।
- पूजा स्थल पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।
पूजा सामग्री
- गणेश प्रतिमा (मिट्टी की शुभ मानी जाती है)
- लाल या पीले वस्त्र
- दूर्वा घास, मोदक, लड्डू
- पुष्प, रोली, अक्षत, सिंदूर
- धूप, दीप, नारियल, पान, सुपारी
- पंचामृत और कलश
पूजा विधि
- गणेश प्रतिमा को स्वच्छ आसन पर स्थापित करें।
- संकल्प लें और दीप प्रज्वलित करें।
- गणेश जी को स्नान कराएँ और वस्त्र पहनाएँ।
- उन्हें सिंदूर, पुष्प, दुर्वा और अक्षत अर्पित करें।
- "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का जप करें।
- मोदक और लड्डुओं का भोग लगाएँ।
- आरती और प्रसाद वितरण करें।
- "गणेश जी के दर्शन की तरह श्रीराम मंदिर का दर्शन भी आत्मा को शांति और आध्यात्मिक आनंद प्रदान करता है। अगर आप अयोध्या के श्रीराम मंदिर के दर्शन की पूरी जानकारी चाहते हैं तो यह पोस्ट आपके लिए है।"
गणेश चतुर्थी का महत्व
धार्मिक महत्व
- इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी विघ्न दूर होते हैं।
- बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है।
सामाजिक महत्व
- लोकमान्य तिलक ने गणेशोत्सव को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़कर इसे जन-आंदोलन का रूप दिया।
- इस पर्व ने समाज में एकता और भाईचारा बढ़ाने का काम किया।
सांस्कृतिक महत्व
- भजन, कीर्तन, नृत्य, नाटक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन।
- यह पर्व भारतीय संस्कृति की झलक प्रस्तुत करता है।
गणेश विसर्जन
- गणेश चतुर्थी से शुरू होकर यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है।
- अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी को गणेश विसर्जन किया जाता है।
- भक्त गणपति बप्पा की प्रतिमा को जल में विसर्जित करते हैं और नारा लगाते हैं –
"गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ।" - "हरियाली तीज 2026 का पर्व विशेष रूप से महिलाएँ मनाती हैं। यह सावन मास का प्रमुख उत्सव है, जो गणेश चतुर्थी की तरह ही भक्ति और उल्लास से भरा होता है।"
गणेश चतुर्थी और पर्यावरण
आजकल पीओपी (POP) की मूर्तियों से प्रदूषण बढ़ता है। इसलिए अब लोग मिट्टी की मूर्तियाँ, बीज गणेश और पर्यावरण-हितैषी सजावट का उपयोग करने लगे हैं।
गणेश चतुर्थी पर उपवास और नियम
- उपवास करने वाला फलाहार या दूध, फल आदि का सेवन करता है।
- तामसिक भोजन से बचना चाहिए।
- दिनभर भक्ति, मंत्रजप और ध्यान करना शुभ होता है।
गणेश जी से जुड़ी विशेष मान्यताएँ
- दुर्वा घास – गणेश जी को 21 दुर्वा अर्पित करना शुभ माना जाता है।
- मोदक का भोग – मोदक गणपति का सबसे प्रिय प्रसाद है।
- सूंड की दिशा – बाईं सूंड वाली प्रतिमा गृहस्थ जीवन के लिए शुभ होती है।
क्षेत्रीय परंपराएँ
महाराष्ट्र
- यहाँ गणेशोत्सव सबसे भव्य तरीके से मनाया जाता है।
- मुंबई का "लालबागचा राजा" पूरे देश में प्रसिद्ध है।
कर्नाटक और आंध्र प्रदेश
- पंडालों में सामूहिक पूजा की जाती है।
उत्तर भारत
- घरों और मंदिरों में गणपति स्थापना होती है।
विदेशों में
- अमेरिका, दुबई, मॉरीशस, फिजी, यूके, सिंगापुर में बसे भारतीय समुदाय भी यह पर्व मनाते हैं।
गणेशोत्सव और स्वतंत्रता संग्राम
- लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में गणेश चतुर्थी को सार्वजनिक उत्सव बनाने की परंपरा शुरू की।
- इसका उद्देश्य अंग्रेजों के खिलाफ जनता को एकजुट करना था।
- यह पर्व समाज को जोड़ने का माध्यम बना और आज भी उसी जोश से मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
- गणपति की पूजा से मानसिक एकाग्रता और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
- समूह में पूजा करने से समाज में एकता और सहयोग की भावना बढ़ती है।
- पर्यावरण के अनुकूल मूर्तियों का उपयोग प्रकृति संतुलन बनाए रखता है।
गणेश मंत्र और आरती का महत्व
- ॐ गं गणपतये नमः – यह बीज मंत्र सभी विघ्नों को दूर करता है।
- गणेश जी की आरती करने से घर-परिवार में मंगल और समृद्धि आती है।
आधुनिक समय में गणेश उत्सव
आज गणेशोत्सव केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह –
- सामाजिक एकता का प्रतीक
- सांस्कृतिक संरक्षण का माध्यम
- पर्यावरण चेतना का संदेश
- नए भारत की बदलती जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है।
गणेश चतुर्थी से जुड़ी प्रचलित मान्यताएँ
गणेश चतुर्थी से जुड़ी कई लोक मान्यताएँ और परंपराएँ हैं, जिन्हें जानना रोचक है –
- पहली पूजा गणेश जी की – मान्यता है कि जिस कार्य की शुरुआत गणेश पूजन से की जाती है, वह कार्य बिना रुकावट सफल होता है।
- दुर्वा और मोदक का महत्व – गणेश जी को दुर्वा घास और मोदक अत्यंत प्रिय हैं।
- एकदंती स्वरूप – गणपति को एकदंती कहा जाता है क्योंकि उनका एक ही दांत है।
- मूषक वाहन – गणेश जी का वाहन मूषक (चूहा) है, जो यह संदेश देता है कि चाहे छोटा हो या बड़ा, हर जीव का महत्व है।
गणेश चतुर्थी और ज्योतिषीय महत्व
गणेश चतुर्थी को ग्रह-नक्षत्रों के अनुसार भी शुभ माना गया है।
- इस दिन चंद्रमा दर्शन न करने की परंपरा है, क्योंकि मान्यता है कि चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करने से मिथ्या दोष लगता है।
- यदि गलती से चंद्रमा दिख जाए तो "स्यमंतक मणि कथा" का स्मरण करने से दोष दूर हो जाता है।
गणेश चतुर्थी का सामाजिक प्रभाव
- इस पर्व ने ग्राम, नगर और समाज को जोड़ने का कार्य किया।
- सामूहिक पूजन से जाति, धर्म और वर्ग भेद मिटते हैं।
- यह पर्व बच्चों और युवाओं को संस्कृति से जोड़ने का माध्यम भी बनता है।
गणेशोत्सव का ऐतिहासिक पहलू
- लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में पहली बार गणेश चतुर्थी को सार्वजनिक रूप से मनाने की पहल की।
- उनका उद्देश्य था कि अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में समाज को एकजुट किया जाए।
- इस प्रकार गणेशोत्सव ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
गणेशोत्सव में 10 दिनों की परंपरा
गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक हर दिन की पूजा विशेष मानी जाती है।
- पहला दिन: गणेश प्रतिमा की स्थापना और संकल्प।
- दूसरा से आठवाँ दिन: रोजाना आरती, भजन, मंत्रजप और प्रसाद।
- नवाँ दिन: विशेष भजन संध्या और सांस्कृतिक कार्यक्रम।
- दसवाँ दिन (अनंत चतुर्दशी): धूमधाम से शोभायात्रा और विसर्जन।
गणेश चतुर्थी और पर्यावरण जागरूकता
- पहले पीओपी मूर्तियों और केमिकल रंगों से जल प्रदूषण होता था।
- अब लोग मिट्टी की प्रतिमा, बीज गणेश (जो विसर्जन के बाद पौधा बन जाता है) और प्राकृतिक सजावट अपना रहे हैं।
- सरकार और सामाजिक संस्थाएँ भी ईको-फ्रेंडली गणेशोत्सव को बढ़ावा दे रही हैं।
विदेशों में गणेशोत्सव
- अमेरिका, कनाडा, यूके, दुबई, सिंगापुर, मॉरीशस, फिजी और ऑस्ट्रेलिया में बसे भारतीय समुदाय बड़े धूमधाम से गणेशोत्सव मनाते हैं।
- वहाँ भारतीय सांस्कृतिक संघ गणेश पंडाल सजाते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रम करते हैं।
- यह पर्व विदेशों में भारतीय संस्कृति और परंपरा को जीवित रखता है।
गणेश चतुर्थी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
धार्मिक मान्यताओं के अलावा गणेश चतुर्थी का वैज्ञानिक पक्ष भी है –
- सकारात्मक ऊर्जा – सामूहिक भजन-कीर्तन और पूजा से मानसिक शांति मिलती है।
- सामाजिक एकजुटता – समाज में एकता और भाईचारा बढ़ता है।
- पर्यावरण संतुलन – यदि प्राकृतिक मूर्तियाँ और सजावट अपनाई जाएँ तो यह प्रकृति को भी सुरक्षित रखता है।
गणेश चतुर्थी पर मंत्र और स्तोत्र
- बीज मंत्र: ॐ गं गणपतये नमः
- गणेश गायत्री मंत्र:
ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्। - गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ विशेष फलदायी होता है।
गणेश जी की आरती का महत्व
- आरती से भक्त और भगवान के बीच का संबंध गहरा होता है।
- परिवार के सभी सदस्य मिलकर आरती करें तो घर में सकारात्मकता और आनंद का संचार होता है।
- "जय गणेश देवा" आरती सबसे लोकप्रिय है।
बच्चों और युवाओं के लिए गणेशोत्सव
- यह पर्व बच्चों में भक्ति, अनुशासन और संस्कृति की भावना जगाता है।
- युवा वर्ग इसे सामाजिक कार्यों, पर्यावरण अभियानों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से जोड़ते हैं।
आधुनिक भारत में गणेश चतुर्थी
आज गणेशोत्सव केवल धार्मिक नहीं बल्कि –
- सामाजिक जागरूकता का मंच
- संस्कृति और परंपरा का उत्सव
- पर्यावरण संरक्षण का संदेश
- एकता और भाईचारे का प्रतीक बन गया है।
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी 2026 का पर्व 13 सितंबर (रविवार) को मनाया जाएगा। यह केवल भगवान गणेश का जन्मोत्सव ही नहीं है, बल्कि यह भक्ति, संस्कृति, समाज और पर्यावरण का उत्सव भी है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें